
पीएचक्यू ने जब इस बारे में राज्य शासन को पत्र लिखा तो जवाब मिला कि आईजी पीके माथुर 2019 में रिटायर होंगे। इस बीच माथुर के सर्विस बुक खोली गई तो प्रारंभिक तौर पर पाया गया कि जन्मतिथि बदली गई है, लेकिन इसके लिए नियमों का पालन नहीं हुआ।
केवल पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस में दर्ज जन्मतिथि 1959 के आधार सर्विस बुक में बदलाव होना शंका के दायरे में आता है। गृह विभाग ने आनन-फानन में माथुर के जुलाई में रिटायर होने का आदेश किया। अब माथुर के खिलाफ विभागीय जांच शुरु करने के लिए फाइल समन्वय में मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी गई है।
मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि अखिल भारतीय स्तर के अधिकारी के जन्मतिथि विवाद का यह पहला मामला है। यही वजह है कि सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है और माथुर के रिटायरमेंट का सिंगल ऑर्डर जारी किया है।
दो जन्मतिथि, तीन साल का अंतर
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी पीके माथुर पीएचक्यू की स्टेट क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) में बतौर आईजी पदस्थ हैं। माथुर की दो जन्मतिथि के दस्तावेज सामने आए हैं। इनमें तीन साल का अंतर है। माथुर राज्य पुलिस के जरिए भर्ती हुए थे। उन्हें आईपीएस अवाॅर्ड होने पर अखिल भारतीय पुलिस सेवा में शामिल कर 1996 बैच दिया गया। भर्ती के समय उनकी जन्मतिथि 4 जुलाई 1956 दर्ज थी, जबकि बाद में उनकी जन्मतिथि 4 जुलाई 1959 हो गई। पुरानी जन्मतिथि के अनुसार माथुर इसी साल जुलाई में रिटायर होंगे। लेकिन पुलिस की वरिष्ठता सूची में आईजी माथुर की जन्मतिथि 1959 दर्ज है। इसके हिसाब से उनका रिटायरमेंट 2019 होगा।