स्वास्थ्य :गरीबी और बीमारी

राकेश दुबे@प्रतिदिन। नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन की ताजा सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक देश की ग्रामीण आबादी का 86 फीसद और शहरी आबादी का 82 फीसद हिस्सा ऐसा है, जो महंगे इलाज का खर्च खुद ही उठाता है| ग्रामीण अपनी कुल जमा-पूंजीऔने-पौने बेच  या कर्ज लेकर इलाज कराने को मोहजात हैं, तो शहरी आबादी अपने वेतन और पीएफ जैसे फंड व कर्ज पर इसके लिए आश्रित है| क्योंकि आबादी के कई हिस्सों को किसी भी तरह का स्वास्थ्य बीमा कवर हासिल नहीं है| इस आबादी को सरकारी या प्राइवेट बीमा कंपनियों की तरफ से इलाज जैसी जरूरी चीज पर कोई संरक्षण नहीं मिला हुआ है|

एक तरफ वैश्विक फ्लू और जीका वायरस जैसे संक्रमणों के बीमारियों का खतरा लगातार बढ़ रहा है, इलाज के मामले में सरकारें अचानक अपनी भूमिका सीमित करने के मूड में आ गई है| देश में कई नए एम्स खोलने की घोषणाएं तो हो रही हैं, लेकिन जिस तरह से इलाज में गरीबों की मदद की बजाय सरकार का जोर पीपीपी के जरिए अत्याधुनिक हॉस्पिटल खोलने, चिकित्सा के नए-नए केंद्र बनाने और वहां इलाज की आधुनिकतम व्यवस्था मुहैया कराने पर ही है, उससे अब लोगों को अपनी सेहत की फिक्र खुद करनी पड़ रही है| निजी अस्पतालों में इलाज काफी महंगा होता है, ऐसे में गरीबों को सब्सिडी देकर और मेडिकल इंश्योरेंस जैसे उपाय सुझा कर समाधान निकालने की बात कही जाती है, पर गरीब जानकारी के अभाव में न तो सब्सिडी का सही लाभ उठा पाता है और न ही इंश्योरेंस ले पाता है|भारी-भरकम खर्च के कारण हर साल करीब साढ़े छह करोड़ लोग गरीबी की गर्त में जा पड़ते हैं|यह स्थिति दुखद है|

पिछले साल राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के ड्राफ्ट में स्वास्थ्य संबंधी देखभाल पर होने वाले खर्च के बारे में टिप्पणी की गई थी कि बीमारी से जूझने में लोगों की आय का बड़ा हिस्सा खर्च होने लगा है| सेहत पर हो रहे ज्यादा खर्च के असर से परिवार की आय में होने वाली बढ़त और गरीबी घटाने के लिए चलाई जाने वाली सभी सरकारी योजनाओं के फायदे बेअसर होने लगते हैं| जैसे साल 2011-12 में ग्रामीण इलाकों में हर महीने एक परिवार की आय का औसतन 6.9 फीसद और शहरी इलाकों में 5.5 फीसद हेल्थ केयर पर ही खर्च हुआ| वर्ष 2004-2005 की तुलना में इस खर्च में तीन फीसद की बढ़ोत्तरी हुई है.  असल में यह मामला ऐसे दुष्चक्र का है, जिसका एक पहलू इस सच से जुड़ा है कि ज्यादातर बीमारियां गरीबों को ही जकड़ती हैं|
 श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!