
सज़ा पाने वाले दोनों शिक्षकों का नाम कृष्णापाड़ा मौली और अशोक कुमार बताया जा रहा है। दक्षिण बांग्लादेश में स्थित इस कोर्ट ने दोनों को छह महीने जेल की सज़ा सुनाई है।
जज अनवर परवेज़ ने कहा ‘ये मामला तब सामने आया जब हिजला हाईस्कूल के छात्रों ने शिकायत की कि विज्ञान पढ़ाने वाले उनके सहायक शिक्षक ने कुराण और अल्लाह को लेकर टिप्पणी की है और शिक्षकों ने इन दोनों शब्दों को इनकार करते हुए ये भी कहा कि जन्नत जैसी कोई जगह नहीं होती है।’’
गांव में इस बात की खबर फैलते ही छात्रों के साथ उनके माता-पिता और ग्रामीणों ने डंडे लेकर शिक्षकों पर हमला कर दिया। खुद को बचाने के लिए शिक्षक कमरे में कैद हो गए। बाद में पुलिस के मौके पर पहुंचने के बाद हालात को काबू किया गया।
फास्ट-ट्रेक कोर्ट के जज ने कहा कि आरोपी शिक्षकों ने सार्वजनिक तौर पर एक धर्म का अपमान करने का अपराध स्वीकार किया है। इसके बाद दोनों आरोपियों को छह महीने जेल की सज़ा सुनाई गई है।
बांग्लादेश में इस्लामिक कानून लागू किए जाने के समर्थकों और धर्मनिरपेक्षता की पैरवी करने वालों में राजनैतिक मतभेद काफी गहरा है। बीते साल में कई लेखकों, अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमले हुए हैं।