
बिजली प्रबंधन और सरकार अब मुगल शासक औरंगजेब की तरह व्यवहार कर रही है क्योंकि मुगल शासक औरंगजेब भी यही करता था महल बनवाता था और महल खड़ा होने के बाद उन कारीगरों के हाथ काट देता था या मरवा देता जो कि महल बनाते थे। यही काम मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी का मैनेजमेंट और वर्तमान सरकार कर रही है।
यह बाते आज बिजली विभाग के इंजीनियरों और तकनीकी कर्मचारियों ने भाजपा घोषणा में पत्र नियमितीकरण के किये गये वादे को पूरा करवाने के लिए और संविदा नहीं बढ़ाये जाने के पर विरोध स्वरूप अपनी डिग्रियां जलाते वक्त कहीं। युनाईटेड फोरम फार पावंर इंम्पलाईज एवं इंजीनियर्स संघ एवं म.प्र. संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के बैनर तले दस हजार बिजली संविदा इंजीनियर, लाईनमेन एवं टेस्टींग अस्टिेंट संविदा बढ़ाने तथा भाजपा के घोषणा पत्र में किये गये नियमितीकरण के वादे को पूरा करवाने के लिए तीन दिन से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर हैं।
यूनाईटेड फोरम के संयोजक इंजी. व्ही.के.एस. परिहार, म.प्र. संविदा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर और विभागीय इकाई के अध्यक्ष दीपक चौधरी ने बताया कि वर्तमान सरकार युवाओं को भर्ती कर उनका महत्वपूर्ण समय को उपयोग कर गन्ने के रस की तरह निचैड़कर फेक देती है। विद्युत वितरण कम्पनी का काम हो जाने के बाद तथा सरकार का तीसरी बार सत्ता का महल खड़ा हो जाने के बाद युवा इंजीनियरों और तकनीकी कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गंई हैं।
सरकार के पास नहीं है इन सवालों का जवाब -
(1) अनुभवी और प्रशिक्षित लोगों को निकाल कर नई भर्ती संविदा पर ही करने का औचित्य क्या है।
(2) युवा अवस्था का अपनी महत्वपूर्ण समय गवां चुके और किताबी ज्ञान से दूर हो चुके इन इंजीनियरों और तकनीकी कर्मचारी फ्रेशर्स के साथ प्रतियोगिता क्या कर पायेंगें।
(3) इंजीनियरों और कर्मचारियों के परिवार बस चुके शादी ब्याह हो चुके अपने परिवार का लालन पालन कैसे करेंगें।
(4) भाजपा के घोषणा-पत्र में नियमितीकरण किये जाने के वादे का क्या होगा।
(5) पावर मैनेजमेंट कम्पनी की 16 फरवरी 2016 को जारी गई संविदा नीति के बिन्दु क्र. 4.4 में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि पूर्व से कार्यरत संविदा कर्मचारियों को ही रखा जायेगा उस नीति का पालन नहीं किये जाने का कारण क्या है।
प्रेसनोट जारी करने के हड़ताल खत्म नहीं होगी
विद्युत वितरण कंपनी मध्यक्षेत्र के द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर छः महीने सेवा बढ़ाने का आश्वासन दिया गया है। इस पर संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के द्वारा निर्णय लिया गया है कि जब मैनेजमेंट कंपनी 16 फरवरी को बनाई गई एचआर नीति को लागू करने की बात लिखकर नहीं देती है और निकाले गये संविदा इंजीनियरों और तकनीकी कर्मचारियों की सेवा वापस नहीं लेती है तब तक आंदोलन जारी रहेगा। यदि बिजली कंपनी छः महीने की अवधि बढ़ाती है और एचआर नीति लागू नहीं करती है तो फिर हमें छः महीने बाद सड़कों पर आना होगा क्योंकि छः महीने बाद कंपनी फिर से हमें निकालने के लिए आमदा हो जायेगी। इसलिए कंपनी लिखित में दे कि 16 फरवरी को बनाई गई एचआर नीति इन कर्मचारियों पर लागू की जाती है और भविष्य में इनकी नौकरियां सुरक्षित रहेंगी और निकाला नहीं जायेगा। तब ही हड़ताल समाप्त होगी। संविदा कर्मचारियों की हड़ताल के चलते बिजली कंपनी के द्वारा 4 अप्रैल को एलईडी लाईट बाटने का आयोजन स्थगित हो गया है।