अस्पताल में ही होती थी नवजात बच्चों की नीलामी

भोपाल। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में पलाश हॉस्पिटल में नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त के मामले में आरोपी तापोश कुमार गुप्ता और अरुण भदौरिया ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। 

पुलिस रिमांड के दौरान उन्होने बताया कि वे हर नवजात को बेचकर मिले रुपए में 35-35 प्रतिशत हिस्सा लेते थे। शेष 30 प्रतिशत रकम में 20 प्रतिशत डिलीवरी कराने वाला डॉक्टर और 10 प्रतिशत स्टाफ लेता था। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि कि पलाश हॉस्पिटल में पेशेंट के कागजों में डायरेक्टर की भूमिका आरोपी अरुण भदौरिया निभा रहा था। यह पूरा खेल आर्गनाइज ढंग से चल रहा था। आरोपियों ने पांच नवजात का सौदा करना स्वीकारा है।

पलाश हॉस्पिटल में नवजात की खरीद-फरोख्त के मामले में पुलिस ने हॉस्पिटल प्रबंधक तापोश कुमार गुप्ता और सह प्रबंधक अरुण भदौरिया को आरोपी बनाया है। आरोपियों ने पुलिस रिमांड के दौरान खुलासा किया कि उनके हॉस्पिटल में डॉ पीके वर्मा, डॉ दिनकर,डॉ खान सहित पांच डॉक्टर थे. वहीं, नर्स सुनीता के साथ स्टाफ के नाम सामने आए हैं। इसमें शहर के पांच से ज्यादा निजी नर्सिंग होम के नाम पता चले हैं, जिनका पलाश हॉस्पिटल से बच्चों की देखभाल के लिए टाइअप था।

क्राइम ब्रांच के मुताबिक, पलाश मामले में एक बड़ा रैकेट सामने आ रहा है. 100 लोगों के इस रैकेट में शामिल होने के संकेत मिले हैं। माना जा रहा है कि पुलिस की जांच में कई बड़े नामों का खुलासा हो सकेगा।
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