
हॉस्टल में पानी, सफाई आदि की समस्याओं को लेकर रात करीब 9.30 हॉस्टल के सामने करीब 150 छात्राएं धरने पर बैठ गईं। उन्हें शांत करने हॉस्टल वार्डन कुंभज और डीन स्टूडेंट वेलफेयर शर्मा पहुंचे।
छात्राओं ने आरोप लगाए कि लड़कों के हॉस्टल पर कोई पाबंदी नहीं है, जबकि हम पर कई पाबंदियां हैं। हॉस्टल प्रबंधन ने बाहर से रात 8 बजे तक हॉस्टल में आने का नियम बना रखा है, जबकि कोचिंग क्लासेस रात 9 बजे तक छूटती हैं। हम लोग ग्रुप बनाकर बैठती हैं तो आपत्ति रहती है, गार्ड भी हमें भगा देता है।
वाटर प्यूरीफायर भी नहीं लगाया जा रहा है। एक छात्रा ने आरोप लगाया कि चीफ वार्डन राकेश सक्सेना को जब भी अव्यवस्थाओं के बारे में बताने जाते हैं तो वे हमें धमकाते हैं, हाथ भी उठाते हैं। इस पर सक्सेना ने कहा कि कभी कोई धमकी नहीं दी। सभी छात्राएं मेरी बेटी के समान हैं।
झूठ का सहारा मत लीजिए
छात्राओं ने डीएसडब्ल्यू शर्मा से कहा- हमें हॉस्टल में जल्दी आने का कहा जाता है। ये समस्या आपको भी बताई लेकिन आपने भी हमारी नहीं सुनी। इस पर शर्मा भड़क गए। उन्होंने कहा कि झूठ का सहारा मत लीजिए, मेरे पास कोई छात्रा समस्या लेकर नहीं आई। बाद में हॉस्टल प्रबंधन ने छात्राओं के आने का समय रात 9 बजे कर दिया।
हॉस्टल वार्डन कुंभज का कहना है मैं सभी कमरों की सफाई करवाती हूं, नलों को भी ठीक कराया है। इस पर एक छात्रा बोली, मैंने एक साल पहले एक्सल शीट में लिखकर दिया था कि हॉस्टल में कहां-कहां नल और ट्यूबलाइट खराब हैं, कौन-सा शॉवर खराब है। पूरी लिस्ट सौंपी थी। सभी छात्राओं ने कहा- हमें होली भी नहीं खेलने दी, जबकि लड़कों पर कोई पाबंदी नहीं थी।
इस पर डीएसडब्ल्यू ने कहा कि होली पर बाहर का माहौल खराब रहता है। इसलिए होली में बाहर भेजना ठीक नहीं है। इस पर छात्राओं ने कहा- हम तो हॉस्टल में होली खेलने की बात कह रहे हैं, तो वे बोले- होली खेलना ही है तो कल खेल लेना। शर्मा ने आश्वासन दिया कि 6 अप्रैल को वे प्रभारी डायरेक्टर आरके श्रीवास्तव के समक्ष हॉस्टल की सारी समस्याएं रखेंगे।