भोपाल। विधायकों की तरह ही पार्षदों ने भी अपने वेतन (मानदेय) को सात गुना तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। नगर निगम बजट बैठक में रविवार को आए इस प्रस्ताव को भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों ने महज दो मिनट में पास भी कर दिया। पार्षद यही नहीं रुके, उन्होंने पार्षद निधि और सड़क अनुरक्षण निधि में भी इजाफा करवा लिया। वे अपने वेतन को बढ़ाने में इतने मशगूल थे कि होशंगाबाद रोड पर पिछले दरवाजे से प्रॉपर्टी टैक्स की रकम बढ़ाने के प्रस्ताव पर विरोध तक नहीं किया। न ही किसी पार्षद ने बजट में गैर जरूरी खर्चों और काल्पनिक प्रस्ताव पर शहर सरकार को घेरा।
एमआईसी सदस्य कृष्ण मोहन सोनी और नेता प्रतिपक्ष मोहम्मद सगीर ने पार्षदों का वेतन 6 हजार से बढ़ाकर 40 हजार रुपए करने का प्रस्ताव पेश किया। सभी पार्षदों ने इसका समर्थन किया। इस पर परिषद अध्यक्ष सुरजीत सिंह चौहान ने प्रस्ताव पास करने का ऐलान करते हुए कहा कि पार्षद अब एक-दो दिन में मुख्यमंत्री से मिलकर इसे मंजूरी देने की मांग करेंगे। सरकार यह प्रस्ताव मान लेती है, तो महापौर आलोक शर्मा का वेतन 10 हजार से बढ़कर 56 हजार रुपए हो जाएगा।
आठ साल पहले 1500 रुपए था वेतन
पूर्व महापौर सूनील सूद के कार्यकाल में पार्षदों का मानदेय 1500 रुपए से बढ़कर 3 हजार रुपए कर दिया गया था। इसके बाद पूर्व महापौर कृष्णा गौर के कार्यकाल में मानदेय 6 हजार हो गया।
पार्षद निधि में 25 फीसदी का इजाफा
पार्षदों की मांग पर महापौर आलोक शर्मा ने पार्षद निधि में 25 फीसदी का इजाफा कर 25 लाख रुपए कर दी है। इसके साथ ही अध्यक्ष कोटा भी 1 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए कर दिया गया। इसके लिए नगर विकास मद में रखी गई रकम को कम किया गया है।