34 साल की महिला 17वीं बार गर्भवती: बेटे की चाह में

वडोदरा/गुजरात। बीते साल जब कानू संगोद 16वीं बार गर्भवती हुईं तो वे बेटे की उम्मीद कर रही थीं। हालांकि, उनको बेटी हुई। इस साल भी 34 साल की कानू प्रेग्नेंट हैं। कानू और उनके पति राम सिंह को उम्मीद है कि इस बार फिर से बेटा होगा, जो उनकी 13 जीवित लड़कियों का ‘ख्‍याल’ रखेगा।?

राम सिंह की उम्र 35 साल है। वे गुजरात के दाहोद जिले के झारीबुझी गांव के रहने वाले हैं। पेशे से किसान राम सिंह की बहुत बड़ी हसरत थी कि उनके दो बेटे हों। कानू ने अपने पति की इच्छा का पालन किया क्योंकि ‘कोई दूसरा विकल्प’ नहीं था। छह महीने की गर्भवती कानू ने बताया, ”मेरे पति के लिए यह बेहद अहम है कि दो बेटे हों। सामाजिक रीति-रिवाजों के मुताबिक बहनों के प्रति भाइयों को कई जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं। मेरा इकलौता बेटा इस बोझ को उठाने के लायक नहीं था। पिछली बार जब गर्भवती हुई तो हमने बेटे की इच्छा की थी, लेकिन भगवान ने हमें एक और बेटी दे दी।”

राम सिंह और कानू के बेटे का नाम विजय है। उसका जन्म 2013 में हुआ था। सबसे छोटी संतान बेटी है। इसका नाम डिंगली है जो बीते साल अगस्त में पैदा हुई। कानू ने माना कि अब उसका शरीर प्रेग्‍नेंसी के दबाव को झेलने लायक नहीं है। उन्होंने कहा, ” मैं बहुत कमजोर हो गई हूं। लेकिन मेरे पास चारा ही क्या है? मेरे पति परिवार के बारे में फैसले लेते हैं। मेरी शादी के काफी साल हो चुके हैंI इस दुनिया में पति और बच्चों के अलावा मेरा और कोई नहीं है। मेरे पति जिस चीज से खुश हों, मैं वो करती हूं।”

पिछले साल जब कानू 16वें बच्चे का इंतजार कर रही थीं, उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा था, ”मेरा शरीर बेहद कमजोर हो गया है और यह बात मैं जानती हूं। जब सात बार गर्भवती होने के बावजूद बेटा नहीं हुआ तो मेरे पति ने धमकी दी कि वो दूसरी महिला को घर ले जाएंगे। मैं एक अनाथ हूं और नहीं चाहती कि वे मुझे छोड़ दें, इसलिए मैं राजी हो गई।” बता दें कि राम सिंह अशिक्ष‍ित है। उसका परिवार हाशिए पर जीवन व्यतीत कर रहा है। पूरा परिवार कई बार भूखा सोता है।

कानू और रामसिंह की दो बड़ी बेटियों 18 साल की सेवांता और 16 साल की नीरू की की पिछले साल मार्च में शादी हो गई। ऐसे में जब कानू 17वीं बार प्रेग्‍नेंट हैं, नीरू भी गर्भवती है। राम सिंह और कानू की तीसरी संतान का नाम सारंगा है, जो अनब्याही बेटियों में सबसे बड़ी है। उसे सुनने में दिक्कत होती है। हालांकि, वो अपनी सबसे छोटी चार बहनों छह साल की हसीना, चार साल की बैगन, दो साल के विजय और आठ महीने की दिंगली की देखभाल करती है।

चार बेटियां 9 साल की पायल, आठ साल की मोनी के अलावा हसीना और बैगन गांव के प्राइमरी स्‍कूल में पढ़ती हैं। तीन अन्‍य बहनें 13 साल की हंसा, 12 साल की जोशना और 10 साल की रंजन घर पर तीन गायों की देखभाल करती है। एक अन्य बेटी गांव के बाहर काम करती है। दो अन्‍य बेटियां कली और ओवंती बच नहीं पाईं।

झारीबुझी गांव में करीब 100 घर हैं। कई परिवारों के 9 बच्चे तक हैं। राम सिंह का कहना है कि वे ऐसा अपने बच्चों के फायदे के लिए कर रहे हैं। राम सिंह ने कहा, ”मैं अपने बेटे के बारे में सोच रहा हूं जो इतनी सारी बहनों की जिम्मेदारी उठाने में नाकाम हो जाएगा। उसे मदद की जरूरत है। दो बेटे परिवार का ध्यान रखने के लिए काफी हैं, जब हम दोनों इस दुनिया से चले जाएंगे।” यह पूछने पर कि क्या वे एक और बेटी के लिए तैयार हैं, गुस्साए रामसिंह ने कहा, ”हम दोनों जवान हैं और हम बेटों के लिए कोशिश करते रहेंगे जो इस परिवार के‍ लिए एक दिन साथ खड़े होंगे।”

कानू बच्चों को जन्म देते वक्‍त होने वाली पीड़ा से ज्यादा इस बार बेटी होने की आशंका से डर जाती हैं। कानू ने कहा, ”मैं सिर्फ इस बात की प्रार्थना कर रही हूं कि बेटा हो ताकि हमें और बच्चे पैदा न करने पड़े। मेरी पहली संतान बेटी थी, इसलिए मुझे कोसा गया। मेरा मानना है कि अगर पहली संतान बेटी हो तो परिवार को बेटे पाने में बहुत दिक्कत होती है।”

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