पढ़िए अगस्ता घूसकांड की संक्षिप्त कहानी

नई दिल्ली। देश की संसद से लेकर सड़क तक की सियासत में इस वक्त एक ही मुद्दे पर हलचल है. मुद्दा है वीवीआईपी हेलीकॉप्टर डील में रिश्वत कांड का आरोप. आज संसद में इस मुद्दे पर बीजेपी ने सीधे सोनिया गांधी को घेरना चाहा. कांग्रेस अध्यक्ष ने भी कह दिया कि मैं डरती नहीं, जिसे जो जांच करनी है कर ले. ये तय है कि संसद के मौजूदा सत्र में बीजेपी इस मुद्दे को छोड़ने वाली नहीं. लेकिन आखिर क्यों छह साल पुरानी 3600 करोड़ रुपए की डील का मुद्दा अचानक अब उठा है.

साल 1999
करगिल में पाकिस्तानी सेना के साथ भारत की सेना युद्ध लड़ रही थी। अगस्त 1999 में भारतीय वायुसेना को महसूस हुआ कि अब वक्त आ गया है कि जो MI-8 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है उन्हें रिप्लेस किया जाए, क्योंकि MI-8 VVIP हेलीकॉप्टर अपनी टेक्निकल लाइफ पूरी कर रहे थे। साथ ही MI-8 VVIP हेलीकॉप्टर 2000 मीटर से ज्यादा का ऊंचाई पर आसानी और सुरक्षित तरीके से उड़ान भरने में नाकाम थे। इसलिए वायुसेना को महसूस हो रहा था कि सियाचिन और टाइगर हिल जैसी ऊंचाई वाली जगहों पर रात में उडान भरने के लिए नए वीवीआईपी हेलीकॉप्टर की जरूरत है। 

साल 2002
ये दौर था मार्च 2002 का, देश में तब वाजपेयी सरकार थी। तब 2002 में वायुसेना के मुताबिक बताई गई VVIP हेलीकॉप्टर के लिए चार वेंडर्स ने रुचि दिखाई। जिसमें यूरोकॉप्टर EC-225 ही 6000 मीटर ऊंचा उड़ सकता था। दिसंबर 2003 में वाजपेयी सरकार के दौरान NSA रहे ब्रजेश मिश्रा ने सिंगल वेंडर से बचने की बात कही। दावा है कि तब NSA रहे ब्रजेश मिश्रा ने रक्षा मंत्रालय और भारतीय वायुसेना को वीवीआईपी हेलीकॉप्टर के लिए टेक्निकल जरूरतें हटाने को कहा। इसके बाद सितंबर 2006 में यूपीए-1 के राज में 12 वीवीआईपी चॉपर के नए टेंडर जारी हुए। जिनमें एक टेंडर सितंबर 2006 में अगस्ता वेस्टलैंड-101 हेलीकॉप्टर का भी था। 2006 में तब 3 वेंडर सामने आए AW-101 यानी अगस्ता वेस्टलैंड 101, S-92 और रूस का Mi-172, बाद में रूस बाहर हो गया. फिर साल 2008 में फील्ड ट्रायल के बाद भारतीय वायुसेना और SPG ने AW-101 को S-92 पर तरजीह दी। 

लेकिन वीवीआईपी हेलीकॉप्टर की कहानी में अभी और मोड़ आने बाकी थे। फरवरी 2010 में यूपीए सरकार के राज के दौरान फिर अगस्ता वेस्टलैंड के 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीदने की डील हुई। 3600 करोड़ रुपए की ये डील 6 साल पहले तब साल 2010 में हुई। ये हेलीकॉप्टर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और दूसरे वीवीआईपी के इस्तेमाल के लिए खरीदे जाने थे लेकिन फरवरी 2013 में जैसे ही सरकार को भनक लगी कि अगस्ता वेस्टलैंड के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर की डील के लिए रिश्वत दी गई है। सरकार ने अगस्ता वेस्टलैंड से डील रद्द कर दी लेकिन तब तक 3 हेलिकॉप्टर आ चुके थे। जो आज भी दिल्ली के पालम एयरबेस पर खड़े हैं। इन्हें इस्तेमाल में नहीं लाया गया। 

वीवीआईपी हेलीकॉप्टर की उसी डील को लेकर अब बीजेपी सरकार सीधे कांग्रेस आलाकमान को घेरने में जुटी है. कांग्रेस दलील दे रही है कि उसने तो रिश्वत कांड की बात सामने आते ही वीवीआईपी हेलीकॉप्टर की डील रद्द कर दी थी लेकिन अब ये मामला इसलिए सियासी घमासान में बदला है, क्योंकि कल भारत में इटली की अदालत का फैसला सामने आया। 225 पन्नों के फैसले में मिलान की अदालत ने साफ कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड डील में 125 करोड़ रुपए की रिश्वत दी गई थी। 

मोदी ने अगस्ता को मेक इन इंडिया का हिस्सा बनाया
रक्षा मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि जुलाई 2014 में मोदी सरकार ने वीवीआईपी हेलीकॉप्टर डील से जुड़ी कंपनियों को होल्ड लिस्ट में डाल दिया। कांग्रेस कह रही है कि मोदी सरकार ने जुलाई में जो फैसला लिया उसका प्रोसेस यूपीए सरकार ने ही शुरू कराया था। इसी आधार पर कांग्रेस ये भी पूछ रही है कि फिर क्यों अगस्त में अगस्ता वेस्टलैंड को मेक इन इंडिया का हिस्सा सरकार ने बनाया? 

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