स्कॉलरशिप घोटाला: ज्वाइंट कमिश्नर जांच की जद में

सीधी। छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर सहायक आयुक्त की संलिप्तता की जांच पर पुलिस अधीक्षक ने कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस को दिए गए बयान मे दोनों तत्कालीन सहायक आयुक्त ओपी पांडेय और वर्तमान सहायक आयुक्त केके पांडेय ने कहा है कि चेक और छात्रवृत्ति निकासी में जो हस्ताक्षर किए गए हैं, वह फर्जी हैं जिसकी जानकारी न होने की बात कही गई। 

इस पर पुलिस अधीक्षक ने हस्ताक्षर प्रमाणीकरण के लिए दस्तावेज भोपाल भेजे हैं। अब भोपाल से रिपोर्ट आने पर ही आगे की कार्रवाई हो सकती है। पुलिस अधीक्षक यह जांच उच्च न्यायालय के आदेश पर कर रहे हैं। न्यायालय ने जांच के बाद नियमानुसार कार्रवाई करने सहित तीन माह के अंदर प्रतिवेदन उच्च न्यायालय प्रमुख रजिस्टार को सौंपने के आदेश दिए हैं।

उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष आदिवासी विकास विभाग में 3 करोड़ 25 लाख का छात्रवृत्ति राशि में घोटाला किया गया था। महाविद्यालय संचालित नहीं थे फिर भी उस महाविद्यालय के नाम करोड़ों का चेक काट दिया गया था। 

इस आधार पर पुलिस ने तत्कालीन एक सहायक आयुक्त सहित विभाग के तीन लिपिकों सहित पांच अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला पंजीवद्ध किया था। इनमें से चार आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, बाकी फरार बताए जा रहे हैं। किंतु पुलिस के द्वारा मुख्य आरोपियों के खिलाफ मामला पंजीवद्ध नहीं किया गया। जिसको लेकर तत्कालीन सहायक आयुक्त लालजी राम मीणा के द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर मे पिटीशन दायर किया गया। जिसकी सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के द्वारा पुलिस अधीक्षक को जांच का आदेश जारी किया गया है।

आरोपियों के हो चुके हैं बयान
मामले में संलिप्त चार आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें से आरोपी लिपिक यूएसडी दुबे ने पुलिस को दिए बयान में बताया था कि चेक सहायक आयुक्त ने अपने हस्ताक्षर से काटे हैं। मैंने तो सिर्फ फाइल प्रस्तुत की थी, जिसमें एनसीएल हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके अलावा अन्य आरोपियों ने भी अपने बयान मे सहायक आयुक्त की सहमति की बात स्वीकार की है। उसके बाद भी पुलिस कार्रवाई नहीं कर पाई। अब उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद पुलिस सक्रिय हुई है।
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