
सरकार ने 14 मार्च को संविदा समाप्त करने का नोटिस थमाया उसके विरुद्ध संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने एक रिट हाई कोर्ट में दायर कर दी है जिसका फैसला 22 फरवरी तक आने की उम्मीद है। सरकार द्वारा डी0पी0एम0 का प्रभार डीएचओ एवं जिला लेखा प्रबंधक का प्रभार लेखापाल को देना था तो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने डीपीएम का प्रभार डीआईओ डा एल.सी. गुप्ता को एवं प्रबंधक का प्रभार कैशियर को दे दिया है। सरकार के आदेश को ठेंगा दिखा दिया गया है। इससे पता चलता है कि स्वास्थ्य अधिकारी कितने सजग है।
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राजीव गौतम ने बताया कि सरकार ने अपने सभी तरह के हथकंड़े अपना कर हमारी हड़ताल खत्म कराने की कोशिश कर चुकी है लेकिन हम लोग तभी हडताल खत्म करेंगे जब सरकार द्वारा हमारी सभी मांगे मान लेगी, क्योंकि हम राजनीति के शिकार 10 साल से होते आ रहेे है।
सरकार ने 2011 में हडताल को खत्म कराकर आश्वासन दिया था जो आज दिनांक तक पूरा नही पाया है। सरकार अपने ही एच.आर. पोलिसी में घिरती नजर आ रही है क्योंकि अनुबंध के अनुसार सभी कण्डिओं का पालन करना अनिवार्य है लेकिन सरकार ने कई कण्डिकाओं का पालन नही किया एवं हम लोगो को एच.आर. की कण्डिका का सहारा लेकर नोटिस जारी कर रही है जो कि न्योयोचित नही है एवं मंगलवार को तो सरकार ने एस्मा लगाने की धमकी दी थी लेकिन एस्मा सरकार के नियमित कर्मचारियों पर लागू होंतेे है इसलिए कल बुधवार को भी हडताल जारी रही क्योंकि संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को सरकार अपना कर्मचारी ही नही मानती है तो एस्मा लगाने का सवाल ही नही उठता है।
सरकार से हमारी यही मांग है कि जल्द जल्द हमारी मांगो का निराकरण करें हमको हडताल करने का शौक नही है क्योंकि सरकार ने ही हमें हडताल करने के लिये मजूबर किया है क्योंकि संघ के द्वारा कई बार विभाग को लेटर दिये गये विभाग कार्यवाही तो नही की जबाब देना उचित नही समझा। सरकार कहती है हडताल खत्म करो, सरकार लिखित में हमारी सभी मांगे मान ले हम अपनी हडताल खत्म कर देगें। सरकार ऐसा नही करती तो हडताल अनवरत जारी रहेगी जिसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार की होगी।