भोपाल। व्यापमं घोटाले के आरोपियों योगेश उपरीत और एमएस जौहरी को जमानत मिलने पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने सीबीआई के डायरेक्टर को निर्देश दिया है कि आरोपियों के खिलाफ 90 दिन के भीतर चालान पेश न कर पाने में नाकाम अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.जस्टिस यूसी माहेश्वरी और एसके गुप्ता की डबल बेंच ने सुनवाई के दौरान जाच एजेंसियों के तौर-तरीकों पर ऐतराज जताया।
4 सितंबर को व्यापमं घोटाले के आरोपी डॉ. एमएस जौहरी और डॉ. योगेश उपरीत को धारा 167 (2) के तहत एसीजेएम कोर्ट से इसलिए जमानत मिल गई थी, क्योंकि इनके खिलाफ 90 दिनों में एसआईटी चालान पेश नहीं कर पाई थी। जबकि विधि के नियमों के अनुसार किसी भी आरोपी के खिलाफ 90 दिनों में चालान पेश करना होता है।
जमानत निरस्त करवा सकती है CBI
बताया जा रहा है कि दो आरोपियों की जमानत मिलने पर सीबीआई की साख पर आंच आई है। अब जांच एजेंसी डॉ. उपरीत और डॉ. जौहरी की जमानत को निरस्त करवाने कानूनी विशेषज्ञों की सलाह ले रही है. विधि विशेषज्ञों की मानें तो सीबीआई एक जांच एजेंसी है। उसके ऊपर 90 दिन में चालान पेश करने का कानून लागू नहीं होता। एक केस में तो सीबीआई ने 6 साल में चालान पेश किया था, लेकिन आरोपियों को जमानत नहीं मिली थी।
कोर्ट ने हमारा पक्ष ही नहीं सुना
सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि अधीनस्थ कोर्ट ने आरोपियों को जमानत देने से पहले सीबीआई का पक्ष नहीं सुना। पहले से जब इस मामले में हाईकोर्ट में केस याचिका चल रही है, तो अधीनस्थ कोर्ट ने जमानत देने में जल्दबाजी क्यों दिखाई। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने एसीजेएम की जमानत देने वाली फाइल को मंगाया है। जिसमें जमानत के लिए दिए गए आवेदन का परीक्षण किया जाएगा।