मनोज मराठे। मध्य प्रदेश आज देश के विकसित राज्यों की पंक्ति मे शुमार हो गया है जो दिग्विजय सरकार के समय एक बीमारू राज्य हुआ करता था। उस समय सरकार ने विध्यालयों मे शिक्षको के स्थान पर एक नयी प्रजाती शिक्षाकर्मी के नाम से ईजात की जिसमे से आधे तो छत्तीसगढ़ मे समाकर तर गये पर मध्य प्रदेश मे आज भी पीड़ित व परेशान है। आखीर कार शिक्षक वर्ग ने कोनसी गलती की जो उन्हे अन्य विभाग के कर्मचारियो के समान नियुक्ती के समय से पूर्ण वेतन व सभी अन्य सुविधाए क्यो नही दी जा रही है और सभी विभागो मे पेन्शन २००५ से बंद की और यहा १९९५"व १९९८ से २००४ तक सेवा मे आने वालो को भी पूर्ण पेन्शन नही लागू की। जबकी राज्य मे अन्य सभी विभागो मे सभी को नियुक्ति दिनांक से विभाग का कर्मचारी माना जा रहा है पर अध्यापको की नियुक्ति पंचायत विभाग से व सेवा आदिमजाती व शिक्षा विभाग जब अधिकार मागते है तो दोनो विभाग टालम टोल करते है और जब नोटिस देना होतो दोनो तैय्यार आखीर कोई संवैधानिक नियम मध्य प्रदेश मे अध्यापको के लिए क्यो नही बनता फिर बात करते है गलती तो दिग्विजय सरकार की थी हमने तो बहुत कुछ दिया पर ये बात भी तो है की दिग्विजय सरकार को सत्ता से जाना भी तो पडा आपने बहुत कुछ दिया तो आपको भी ?फिर सरकार प्रदेश मे हर कर्मचारी माला माल खुश तो केवल अध्या पक ही क्यो दु:खी आदरणीय मामाजी आप तो बहुत दयालू हो प्रदेश के ठैला वालो से लेकर कोटवालो व भान्जीयो तक की सेवामे कोई कमी नही की फिर केवल हम फर क्यो दया दृष्टी नही आपकी आपकी भान्जीयो व विवाह वालीयोजना से कही आगे अध्यापक वर्ग भावी पिडी का निर्मान दुर दराज गाँवो मे जाकर कर रहै है पर आप फिर भी उन से दुर नजर कर रहै हो तभी तो आज प्रदेश के विध्रालयो मे अध्यापक ताले जड रहै है आजाद अध्यापक संगठ के साथ प्रदेश के सभी अध्यापक भरत पटेल जावेद भाई दिनेशभाई साल्वी जी के नेतृत्व मे लाखो भाई बहन ओन्दोलन के यज्ञ मे स्वेच्छा से आहुती देरहै है अब जल्दी से अध्यापको को उन का नैतीक आर्थीक मौलिक हक देदो ताकी उन्हे भी पूर्ण पेन्शन ७वा वेतन व अपना मुल विभाग मिलजाये अब देर मत करो आक्रोश बड रहा है विध्यालय खाली ओर भोपाल भर रहा है ?
आपका
मनोज मराठे
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