राकेश दुबे@प्रतिदिन। मध्य प्रदेश के आठ सांसदों द्वारा निर्वाचन आयोग को दिए गए चुनाव खर्च ब्योरे में गड़बड़ी सामने आई। इसमें लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी शामिल हैं। यह खुलासा नेशनल इलेक्शन वॉच द्वारा जारी रपट से हुआ है। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा पंजीकृत राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए निर्धारित दिशा निर्देश के अनुसार, राजनीतिक दल को चुनाव के 90 दिन और उम्मीदवार को ३० दिनों के भीतर चुनाव खर्च का ब्योरा पेश करना होता है।
वर्ष२०१४ में हुए लोकसभा चुनाव के बारे में राजनीतिक दल और सांसदों ने जो ब्योरा दिया है, उसका इलेक्शन वॉच ने विश्लेषण किया। विश्लेषण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है। इनमें आठ सांसद मध्य प्रदेश से हैं। चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली संस्था, नेशनल इलेक्शन वॉच के अनुसार, हर राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए एक मुश्त राशि व अनुदान देता है। इसका ब्योरा भी पार्टी को चुनाव आयोग को देना होता है।
मइलेक्शन वॉच द्वारा जारी विश्लेषण के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी ने सांसदों को एक मुश्त या अनुदान देने की रपट जारी की है, और इस सूची में निर्वाचित २८२ उम्मीदवारों में से १५९ के नाम हैं। जबकि शेष के नाम सूची में नहीं हैं। ऐसे ही छह सांसद मध्य प्रदेश से हैं। इस सूची में मध्य प्रदेश के छह सांसदों में इंदौर से सुमित्रा महाजन (११ लाख रुपये), अनूप मिश्रा (१५ लाख रुपये), चिंतामणी मालवीय (पांच लाख २५ हजार रुपये), प्रहलाद पटेल (तीन लाख ५० हजार रुपये), बोध सिंह भगत (पांच लाख रुपये), और ज्योति धुर्वे (८९ हजार ८८८ रुपये) शामिल हैं, मगर इन सभी ने पार्टी से धनराशि मिलने का ब्योरा दिया है। कांग्रेस के मध्यप्रदेश से २ सांसद हैं और दोनों ने ब्यौरा नहीं दिया है |
प्रश्न यह है की हर चुनाव के बाद इस तरह के ब्यौरे आते हैं और अख़बार की सुर्खी बनकर खत्म हो जाते हैं | न तो राजनीतिक दल ही चिंता करते हैं और न नख दंत विहीन चुनाव आयोग ही | होना तो यह चाहिए कि ऐसे लोगो को चुनाव प्रक्रिया से ही बाहर रास्ता दल या चुनाव आयोग ही दिखा दे |क्योंकि ये नियम नहीं मानते |करते
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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