अफसरशाही में उलझ गईं 1200 भर्तियां

भोपाल। मप्र में बेरोजगारी के चलते युवा आत्महत्याएं कर रहे हैं और अफसरशाही रिक्त पद होने के बावजूद भर्तियां नहीं कर रही। कृषि विभाग में लंबे समय से रिक्त ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, कृषि विस्तार अधिकारी सहित 12 सौ पदों की भर्ती नियमों के चक्कर में अटक गई है।

मूल निवासी और बाहरी राज्यों के निजी कृषि कॉलेजों के छात्रों को भर्ती का मौका देने को लेकर नियमों में संशोधन होना हैं। कृषि विभाग ने इसके लिए कमेटी तो बना दी है पर दो माह बीतने के बाद भी इसने कोई रिपोर्ट नहीं दी है।

ज्ञात हो कि छात्रों की आपत्ति के चलते सरकार ने 6 सितंबर को प्रस्तावित भर्ती परीक्षा को निरस्त कर दिया है। कृषि विभाग ने रिक्त पदों की भर्ती के लिए व्यवसायिक परीक्षा मंडल को प्रस्ताव दिया था। व्यापमं ने विभाग से भर्ती नियम लेकर जो विज्ञापन जारी किया था उस पर छात्रों ने आपत्ति कर दी। छात्रों का तर्क था कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में वहीं के मूल निवासी को तृतीय श्रेणी के पदों पर भर्ती होने की पात्रता होती है, लेकिन जो विज्ञापन निकाला है उसमें भारत का मूल निवासी मांगा गया है।

इसी तरह कृषि इंजीनियरिंग के छात्रों को भी ग्रामीण कृषि या उद्यान विस्तार अधिकारी के पद के लिए पात्र माना गया है जबकि, पढाई के दौरान कृषि और उद्यानिकी से जुड़े विषय पढ़ाए ही नहीं जाते हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि छात्रों के तर्क से सहमत होते हुए विभाग ने परीक्षा स्थगित कर नियमों में बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मूल निवासी संबंधी नियम में बदलाव के लिए सेवा नियमों में संशोधन करना होगा, जो कैबिनेट की कर सकती है।

कृषि अभियांत्रिकी के छात्रों को ग्रामीण विस्तार अधिकारी के पद से अपात्र करने का निर्णय भी नीतिगत है। प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश कुमार राजौरा ने बताया कि सेवा नियमों में संशोधन एक गंभीर प्रक्रिया है। इसके दूरगामी परिणाम होते हैं, इसलिए विधि विभाग से मार्गदर्शन भी लेना होगा। संशोधन का मसौदा तैयार होने के बाद इसे अंतिम निर्णय कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। नियमों में संशोधन के बाद ही भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी।

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