स्कॉलरशिप घोटाले में मंत्री-अफसर और काॅलेज संचालकों की मिलीभगत

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने प्रदेश को शर्मसार कर देने वाले व्यापमं महाघोटाले के बाद प्रदेश के इंजीनियररिंग और अन्य तकनीकी काॅलेजों में हुये लगभग 750 करोड़ रूपयों से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाले में मंत्रियों-अफसरों और काॅलेज संचालकों की सीधी मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि छात्र-छात्राओं के हित में करोड़ों रूपयों का डाका डालने वालों को आखिरकार किसके संरक्षण में बचाया जा रहा है, समझ से परे है? उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के छात्र-छात्राओं के हितों के खिलाफ इस घोटाले को लेकर भी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान की चुप्पी जहां अफसोसजनक है, वहीं इस मामले में उन्हें व्हिसल ब्लोअर बनने से कौन रोक रहा है?

आज यहां जारी अपने बयान में मिश्रा ने कहा कि व्यापम महाघोटाले के बाद प्रदेश के इंजीनियरिंग एवं अन्य तकनीकी काॅलेजों में पिछले 9 वर्षों में लगभग 750 करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है, जिसमें सर्वाधिक घोटाला वर्ष 2012-13 उल्लेखित है और इस दौरान आदिम जाति कल्याण मंत्री के रूप में विजय शाह काबिज रहे हैं। इनके अलावा कई मंत्री, नौकरशाहों और काॅलेज संचालकों की मिलीभगत सामने आ रही है, किंतु इस घोटाले में भी हाईप्रोफाईल लोगों की मौजूदगी के कारण भ्रष्टाचार को लेकर ‘जीरो टालरेंस’ की बात करने वाली प्रदेश सरकार उन्हें बचा रही है। कांग्रेस की मांग है कि इस घोटाले की भी सीबीआई जांच हो, ताकि पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के छात्र-छात्राओं के आर्थिक हितों को डकारने वाले हाईप्रोफाईल चेहरे बेनकाव हो सकें। 
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