बाजार में चल रहे हैं 400 करोड़ के नकली नोट

नईदिल्ली। देश में इस समय करीब 400 करोड़ रुपये के नकली नोट चल रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा भारतीय सांख्यिकी संस्थान से कराए गए एक अध्ययन में यह आंकड़ा सामने आया है। इससे नीति निर्माताओं को आर्थिक सुरक्षा को होने वाले खतरे का अंदाजा लगेगा।

हर साल 70 करोड़ के नकली नोट आते हैं
सांख्यिकी संस्थान के मुताबिक देश में हर साल लगभग 70 करोड़ रुपये के नकली नोट झोंके जा रहे हैं। खुफिया एजेंसी आईबी के मुताबिक यह आंकड़ा करीब 2,500 करोड़ रुपये था। अभी तक देश में नकली नोटों का कोई पुख्ता आंकड़ा नहीं था, लेकिन इतना तो तय था कि इसमें पाकिस्तान का हाथ है।

पाकिस्तान का हाथ
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, 'जांच एजेंसी को नकली नोटों की फॉरेंसिक जांच में पता चला कि इनमें इस्तेमाल होने वाली स्याही, कागज व कई अन्य चीजें पाकिस्तान की मुद्रा से हूबहू मिलती हैं। हमें बस देश में चलने वाले नकली नोटों का एक प्रामाणिक आंकड़ा चाहिए था, जिसके लिए यह अध्ययन कराया था।

यहां से जुटाए आंकड़े
सांख्यिकी संस्थान ने आरबीआई, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो, सेंट्रल इकोनॉमिक इंटेलीजेंस ब्यूरो, आईबी, सीबीआई और अन्य जगहों से आंकड़े जुटाए।

- 250 नकली नोट पाए गए प्रति दस लाख नोटों में
- 24-46 करोड़ के नकली नोट गत पांच वर्ष में हर साल जब्त हुए
- 10% ज्यादा पकड़े जाते हैं 100 और 500 रु. के नोट 1000 की अपेक्षा
- 80% नकली नोट एक्सिस, आईसीआईसीआई,एचडीएफसी ने पकड़े

कैसे किया अध्ययन
- पहले यह पता लगाया कि एक तय अवधि के दौरान देश में कुल कितने नोट बाजार में चल रहे हैं
- सभी बैंकों में होने वाले कुल नकदी स्थानांतरण का आंकड़ा जुटाया
- फिर यह जाना कि एक निश्चित अवधि में एक नोट कितनी बार बैंकों से होकर गुजरता है
- फिर बैंकों से मिलने वाले नकली नोटों का आंकड़ा जुटाया
- इन सभी आंकड़ों से नकली नोटों का अनुमान लगाने के लिए एक कंप्यूटर प्रोग्राम बनाया ताकि उनका ठीक-ठीक मूल्यांकन हो सके

असली-नकली में 12 अंतर
आम तौर पर असली और नकली नोट में 12 तरह के अंतर होते हैं। नकली नोटों की छपाई ज्यादातर एक कागज पर होती है जबकि असली नोट दो कागजों को चिपकाकर बनाते हैं।

इसलिए आंकड़ों की प्रामाणिकता पर संदेह नहीं
अध्ययन में सभी जगह से आंकड़े लिए गए हैं। मसलन नकली नोट जब्त करने वाली सभी केंद्रीय एजेंसियां सेंट्रल इकोनॉमिक इंटेलीजेंस ब्यूरो को आंकड़े भेजती हैं न कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो को। व्यावसायिक बैंक ऐसे नोटों की पूरी रिपोर्ट आरबीआई के स्थानीय कार्यालयों को देते हैं लेकिन अन्य गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान, जो भारी-भरकम नकदी स्थानांतरण में शामिल होते हैं, नकली नोटों के आंकड़े देने को बाध्य नहीं होते।

स्थानीय पुलिस नहीं देती रिपोर्ट
अध्ययन में यह भी पता चला है कि जब्त हुए नकली नोटों की रिपोर्ट देने में स्थानीय पुलिस लापरवाह है।

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