किसानों के मसीहा नहीं बन सकते राहुल गांधी

Bhopal Samachar
अरविन्द मेनन। कांग्रेस ने आजादी के बाद विकास का जो नेहरू माडल अपनाया उसमें किसानों को कभी स्वावलंबन के मार्ग पर बढने का अवसर नहीं दिया गया। खैरात पर निर्भर बनाकर किसानों को वोट बैंक बनाकर रखा गया। देश में जहां नेहरू माडल विफल हो गया वहीं पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री प्रताप कैरो माडल ने पंजाब सूबे का कृषि विकास के साथ औद्योगीकरण भी किया जिससे पंजाब की प्रगतिशील राज्य के रूप में देश में गणना हुई। 

पिछले 10 वर्षो तक देश में यूपीए सरकार रही। श्री राहुल गांधी ने किसानों के हित में कभी चिंता नहीं की। श्री राहुल गांधी ने खेत खलिहान के दर्शन नहीं किए। ऐसे में किसानो के लिए मगरमच्छी के आंसू बहाने से वे किसानों के मसीहा नहीं बन सकते है। किसान आपदा भुगतते रहे। मां और पुत्र ने खामोशी नहीं तोडी। संसद में हंगामा करने से किसान कांग्रेस पर भरोसा करने वाले नहीं है।

श्री राहुल गांधी की भूमि अधिग्रहण संशोधन का विरोध किसानों की जमीन का नहीं अपनी सियासी जमीन खिसक जाने के बाद वापस बटोरने के लिए कुंठाग्रस्त चिंता है। आजादी के बाद किसानों की तीन पीढियों में जमीन बंट चुकी है। कृषि जोत जो अलाभकारी हो चुकी है जिससे किसानों की विपन्नता, सिंचाई सुविधा का अभाव कोढ में खाज बन चुका है। 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भूमि अधिग्रहण संशोधन के जरिए गांवों में सड़क, स्कूल, अस्पताल, बांध नहर बनाने और औद्योगिक कारीडोर बनाकर रोजगार के अवसर पैदा करने का जतन किया है। ऐसे में कांग्रेस को किसान को विपन्नता के भंवर से निकलने का अवसर से वंचित करने में सिर्फ एक ही सियासी लाभ है कि गरीबी कांग्रेस का वोट बैंक बना रहेगा। किसान को किसान बना रहना मजबूरी बनी रहेगी।

देश की आजादी में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का योगदान स्वीकार नहीं करने के पीछे कांग्रेस की यह मजबूरी रही है कि कांग्रेस हमेशा प्रतिशोध की हीन ग्रंथि का शिकार रही है। उन्हें दुनिया में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का बढ़ता कद, सवा अरब जनता का सम्मान देश में प्रगति के लिए बना सकारात्मक पर्यावरण रास नहीं आ रहा है। श्री राहुल गांधी किसानों के बीच में माई बाप सरकार की छवि बनाए रखने की जिद छोडे और भूमि अधिग्रहण संशोधन की सही तस्वीर को आत्मसात करें। श्री राहुल गांधी की शगूफाबाजी में किसान भ्रमित होने वाला नहीं है।

भूमि अधिग्रहण संषोधन विरोध नहीं बहस का मुद्दा बनें
कांग्रेस को सकारात्मक विरोध करने का अवसर है। संसदीय कार्यवाही को अवरूद्ध करने से सिर्फ अवांछित टकराव पैदा होता है। लंबे समय तक सत्ता में रही कांग्रेस से जनता गैर जिम्मेदाराना ढंग से संसदीय प्रणाली को अवरूद्ध करने की अपेक्षा नहीं करती। सियासत के जोश में जिस तरह श्री राहुल गांधी होश खो रहे है, उससे कांग्रेस के पतन का रास्ता ही बनेगा।

  • लेखक श्री अरविंद मेनन भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री हैं। 


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