नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बाद आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भेजी गई चादर अजमेर शरीफ में चढाई जाएगी. प्रधानमंत्री की तरफ से आज केंद्र मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी अजमेर शरीफ में चादर चढाएंगे. इसके साथ पीएम मोदी का संदेश भी पढ़कर सुनाया जाएगा.
अजमेऱ शरीफ दरगाह पर कल पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की तरफ से भेजी गई चादर चढ़ाई गई. वाजपेयी के सहयोगी शिवकुमार ने चढ़ाई चादर, वाजपेयी जी 1977 से हर उर्स में यहां चादर चढ़वाते हैं.
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 803वें उर्स के मौके पर जो चादर भेजी थी उसे सोमवार को अजमेर दरगाह शरीफ चढ़ाया गया.
इन दिनों अजमेर में सूफी संत गरीब नवाज का 803वां उर्स मुबारक मनाया जा रहा है जिसमें देश और दुनियाभर से उनके मुरीद शामिल होकर चादर चढ़ा रहे हैं. दुआएं मांग रहे हैं. उर्स मेले के दौरान ख्वाजा के दर पर चादर चढ़ाकर मन्नत मांगने की परम्परा बीते आठ सौ सालो से निभाई जा रही है. यही वजह है कि इसमें देश के प्रधानमंत्री से लेकर कैबिनेट मंत्रियों और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों की और से भी चादर चढ़ाई जाती रही है.
दरगाह शरीफ़ राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है, जो ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का स्थान है. वे एक सूफ़ी संत थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों और दलितों की सेवा में समर्पित कर दिया. यह स्थान सभी धर्मों के लोगों के लिए पूजनीय है और प्रतिवर्ष यहाँ लाखों तीर्थयात्री आते हैं.
चांदी के दरवाज़े वाली इस दरगाह का निर्माण कई चरणों में हुआ जहाँ संत की मूल कब्र है जो संगमरमर की बनी है और इसके चारों ओर की रेलिंग चाँदी की है. अजमेर शरीफ का महत्व यह है कि लोगों का ऐसा मानना है कि जब संत की आयु 114 वर्ष की थी तब उन्होंने प्रार्थना करने के लिए स्वयं को 6 दिन तक कमरे में बंद कर लिया था और अपने नश्वर शरीर को एकांत में छोड़ दिया था.
प्रचलित कहानियों के अनुसार बादशाह अकबर ने एक कड़ाही की पेशकश की थी जब संत के आशीर्वाद के कारण उन्हें अपने सिंहासन के लिए उत्तराधिकारी प्राप्त हुआ था. हुमायूं की बनाई गई कब्र अजमेर में एक छोटी और बंजर पहाड़ी की तलहटी में स्थित है. यह सफ़ेद संगमरमर से बनी है और इसमें फारसी शिलालेख के साथ 11 मेहराब हैं.