जलसत्याग्रह: खून रिसने लगा पैरों से, मछलियां काटने लगीं

खंडवा। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने के विरोध में चल रहा जल सत्याग्रह जारी है। लगातार पानी में खड़े जल सत्याग्रहियों के पैरों की त्वचा गलने लगी है और अब खून का रिसाव होने लगा है।

दर्जनों लोगों के गलते पैर जलीय जंतुओं, खासकर मछलियों का निवाला बन रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा पिछले दिनों ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर 189 मीटर से बढ़ाकर 191 कर दिया है. सरकार के इस फैसले के खिलाफ ग्रामीण और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने 11 अप्रैल से घोगलगांव में जल सत्याग्रह शुरू कर दिया था।

पिछले 11 दिन से सत्याग्रह कर रहे आंदोलनकारियों की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है. सबसे पहले इनके पैरों की चमड़ी में गलन शुरू हुई, फिर सर्दी-बुखार, जुकाम ने उन्हें परेशान किया, और अब पैरों से खून रिसना शुरू हो गया है.

दूसरी ओर राज्य सरकार के नर्मदा घाटी विकास राज्यमंत्री लाल सिंह आर्य ने मंगलवार को एक बयान जारी कर आंदोलन का आधारहीन करार दिया. उनका कहना है कि ओंकारेश्वर नहर से हजारों किसानों को सिंचाई का लाभ देने का विरोध समझ से परे है.

उन्होंने कहा कि विरोध का औचित्य इसलिए भी नहीं है कि नहर चलाने के लिए जलाशय का स्तर 191 मीटर बढ़ाया गया है, ऐसा करने से कोई भी घर, गांव या आबादी डूब के प्रभाव में नहीं आया है. राज्य सरकार ने 15 अप्रैल को 'आबादी विहीन क्षेत्र' की हवाई फोटोग्राफी कराई है, तस्वीरों से बिल्कुल स्पष्ट है कि कथित जल सत्याग्रह का कोई औचित्य नहीं है.

आर्य ने कहा कि राज्य सरकार और प्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान ने परियोजना प्रभावितों के प्रति पूरी संवेदनशीलता दिखाई है. पुनर्वास नीति में उपलब्ध भौतिक और आर्थिक सुविधाओं के अतिरिक्त 225 करोड़ का विशेष पैकेज डूब प्रभावित परिवारों को दिया गया है. महज कुछ लोग ही जलस्तर बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं. ऐसे विरोध के कारण हजारों किसानों के हितों की अनदेखी नहीं की जा सकती.


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