सेंट्रल डेस्क/भोपाल समाचार। ये कौन सी गलती हो गई, कैसी सरकार बन गई, अब क्या करें, किससे गुहार लगाएं, कोई भेष बदलकर आया था, हम पहचान ही नहीं पाए, जिसके लिए जिंदाबाद के नारे लगाए थे वो हमें हत्यारा बता रहा है। हमारे बच्चे भूखे हैं और वो हमें मंच से कोस रहा है, भाजपा का ऐजेंट बता रहा है। कैसी राजनीति हो रही है ये भाई।
विषय दिल्ली में हुई किसान की मौत का है। वो क्यों आया था, किसके कहने पर आया था, क्या चल रहा था उसके मन में ये राज तो उसी के साथ चला गया। छानबीन होती रहेगी, राजनीति भी होती रहेगी लेकिन इन सबके बीच दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि वो निर्धन अतिथि शिक्षक जो केजरीवाल से न्याय मांगने आए थे, 'आप' ने उन्हे ही गुनहगार ठहरा दिया। भाजपा का ऐजेंट कहा, यहां तक तो ठीक था, किसान की मौत का जिम्मेदार भी ठहरा दिया।
पढ़िए क्या क्या कहा अतिथि शिक्षकों के लिए
- संजय ने खुद को दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों का सबसे बड़ा रहनुमा साबित करते हुए बोला है कि जब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी तब इन व्यक्तियों के साथ मैंने सडक़ पर इनकी लड़ाई लड़ी और लाठी डंडे खाये।
- कुमार विश्वास बार-बार यह कहते सुने गये कि मैं स्वयं एक शिक्षक का बेटा हूं और घर में सात-सात शिक्षक हैं लेकिन शिक्षक इतना संवेदनहीन नहीं हो सकता कि वह किसान रैली में विध्न डालने के लिए भाजपा के उकसावे पर यहां सब प्रोपगेंडा करे। उन्होंने पेड़ पर चढे लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे पता है कि आप लोग यह सब मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए कर रहे हैं।
- जब केजरीवाल मंच पर पहुंचे तो किसानों के साथ भीड़ का हिस्सा बनकर बैठे अतिथि शिक्षक केजरीवाल होश में आओ, वादा खिलाफी नहीं चलेगी और हम अपना हक मांगते नहीं किसी से भीख मांगते लिखे बैनर लेकर अपने स्थान पर खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। इससे आप नेता बौखला गये और कुमार विश्वास ने मंच दिल्ली पुलिस और अतिथि शिक्षकों पर भाजपा की शह पर रैली में बाधा डालने का आरोप लगाया।
- उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा कि जिन्हें अतिथि में ई की मात्रा, हूं में छोटा उ या बड़ा ऊ की मात्रा लगाने नहीं आता वे किसानों की रैली को फ्लॉप बनाने भाजपा के इशारे पर यहां आ गए।
अब मन की बात बेलगाम
समझ नहीं आ रहा ये किस तरह की राजनीति शुरू हो गई है। एक राजा न्याय की गुहार लगा रहे पीड़ितों पर आरोप लगा रहा है। 'जिम्मेदारी' जैसा शब्द तो शायद दूसरों के लिए ही उपयोग किया जाता है।
माननीय मुख्यमंत्री महोदय और 'आप'के नेताओं को सत्ता का संचालन ही नहीं आता, राजधर्म की किताब का तो शायद शीर्षक भी नहीं पढ़ा। किस्मत से बन गई सरकार, इसलिए इतरा रहे हैं और दूसरों पर उंगलियां उठा रहे हैं। निरीह अतिथि शिक्षकों को दोषी ठहरा रहे हैं। वो अतिथि शिक्षकों को बीजेपी का ऐजेंट बता रहे हैं, शायद उनका सामान्य ज्ञान भी कमजोर हो गया है। ये तो वो अतिथि शिक्षक हैं जो हर मुख्यमंत्री को उसका वादा याद दिलाने आते हैं। कई सालों से आ रहे हैं। 'आप' मुख्यमंत्री हैं इसलिए आपके पास आए हैं, नहीं होते तो 'आप' की रैली में थूकने भी नहीं आते। हिम्मत थी तो चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे शब्दों का उपयोग कर लेते, पता चल जाता ये निरीह किस तरह का षडयंत्र करना जानते हैं।
जब वोट की जरूरत थी तब तो अतिथि शिक्षक वंदनीय हुआ करता था। अब उपमुख्यमंत्री उसकी योग्यता पर सवाल उठा रहे हैं। क्यों ना एक चुनौती पेश की जाए अतिथि शिक्षकों की योग्यता पर सवाल उठाने वाले दिल्ली के उपमुख्यमंत्री के सामने।
हम 10 अतिथि शिक्षकों को चुनकर भेजते हैं, उपमुख्यमंत्री जिस विषय पर चाहें हम सवाल करेंगे, वो जवाब देकर दिखाएं,
या फिर वो 10 मंत्रियों को भेज दें, हम एक अतिथि शिक्षक भेजेंगे, मंत्री सवाल करें, अतिथि शिक्षक जवाब देगा।
जीत गए तो जब से नियुक्ति हुई है तब से आज तक का बकाया वेतन और नियमितीकरण का आदेश वहीं मंच से जारी कर देना, नहीं तो अतिथि शिक्षक 'आप' की सरकार के रहते कभी नियमितीकरण की मांग नहीं करेंगे, रैली में क्या, 'आप' के रास्ते में भी सामने नहीं आएंगे।
बोलो है मंजूर 'आप' को यह चुनौती ?
अतिथि शिक्षकों से आग्रह
यदि आप सहमत हैं तो कृपया अपनी प्रतिक्रियाएं अवश्य दर्ज कराएं। बहुत जरूरी हो गया है कि अब राजाओं को राजधर्म सिखा दिया जाए, अन्यथा ये इसी तरह के तमाशे करते रहेंगे। आज मंच से आरोप लगाएं हैं, यदि पुलिस इनके नियंत्रण में होती तो लाठीचार्ज करवा देते। जेलों में ठूंस देते, किसान की हत्या का चार्ज लगा देते। लोकतंत्र के लिए ऐसे राजा खतरनाक होते हैं, अत: कृपया प्रतिक्रियाएं अवश्य दर्ज कराएं। ताकि भारत के तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों को यह अहसास हो जाए कि कर्मचारी किसी भी सरकार की रीढ़ होता है, उस पर लाठियां नहीं बरसाईं जातीं। यदि कर्मचारियों का ध्यान नहीं रखेंगे तो व्यवस्थाएं बर्बाद होते देर नहीं लगेगी। राजनीति नेताओं के साथ करो, कर्मचारियों के साथ नहीं।
यदि आप चाहते हैं कि आपकी प्रतिक्रियाएं इस पोस्ट के साथ आपकी फेसबुक पर भी प्रकाशित हो जाए तो कृपया 'FACEBOOK यूजर यहां प्रतिक्रिया दर्ज करें' पर क्लिक कीजिए और प्रतिक्रिया दर्ज कराइए। कृपया चुप ना रहें, आपका मौन आपके लिए घातक हो सकता है।
