जबलपुर। जिला दंडाधिकारी यानी कलेक्टर कोर्ट से जारी किसी भी आदेश को सिर्फ डीजे कोर्ट बदलने की शक्ति रखता है। बावजूद इसके प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों पर दबाव बनाकर जारी हो चुके आदेशों को वापस लेने का दबाव बनाया है।
स्कूल फीस मामले को लेकर ये आरोप विरोध करने वाली संस्थाएं लगा रही हैं। 24 अप्रैल को कलेक्टर शिवनारायण रूपला ने प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर स्कूल प्रबंधनों को फीस नहीं बढ़ाने के आर्डर जारी किए थे, लेकिन 25 अप्रैल को ही प्रमुख सचिव ने इसे वापस लेने का आदेश जारी कर दिया।
जनसुनवाई में पूछा आर्डर क्यों वापस लिया
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के युवा प्रकोष्ठ ने कलेक्टर शिवनारायण रूपला से जनसुनवाई में जाकर पूछा कि आखिर उन्होंने अपना ही आर्डर वापस क्यों लिया।
संस्था के मनीष शर्मा, राकेश चक्रवर्ती ने कहा कि आपके आदेश पर ही अभिभावक शिक्षक संघ का गठन किया गया। इस समिति को अपना काम शुरू करने का मौका भी नहीं मिला और निजी स्कूलों की फीस नही बढ़ाने से जुड़ा आदेश वापस ले लिया गया।
संस्था सदस्यों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार निजी स्कूलों की हिमायती हो चुकी है। कोर्ट के आदेश को नकारते हुए तीन साल में फीस कंट्रोल अथॉरिटी तैयार नहीं की जा सकी।