अच्छा बिजनेसमैन वह होता है जो समस्याओं के समाधान खोज सके और भविष्य की डिमांड का पूर्वानुमान लगा सके। आज हम आपको एक ऐसा ही बिजनेस आईडिया देने जा रहे हैं। स्वयं भारत सरकार चाहती है कि भारत के युवा इस तरह के बिजनेस आइडिया पर कम करें। इसके लिए सरकार की तरफ से लोन नहीं बल्कि फंडिंग या ग्रांट मिल जाती है। पहले साल थोड़ा स्ट्रगल करना होगा और कमाई भी सिर्फ ₹6 लाख तक हो सकती है लेकिन तीसरे साल पूरा सिस्टम ऑटो मोड पर चला जाएगा और साल भर में 50 लख रुपए तक का नेट प्रॉफिट हो सकता है।
Identifying Problems and Emerging Market Demands
पहले लोग केवल ब्रांड नाम देखकर प्रोडक्ट खरीद लिया करते थे परंतु अब बात बदलने लगी है। लोग जानना चाहते हैं कि यह प्रोडक्ट किसने बनाया। कितने लंबे नेटवर्क से होता हुआ ग्राहक के पास तक आया। उदाहरण के लिए दिल्ली में जी गेहूं को "सीहोर का शरबती गेहूं" बात कर बेचा जाता है। लोग जानना चाहते हैं कि क्या वह सच में सीहोर के खेतों में पैदा हुआ था। कंपनियां अपने विज्ञापनों में जो दावा करती हैं, लोग जानना चाहते हैं कि क्या वह दावा सही है। यह बिल्कुल नई डिमांड है। पहले केवल भरोसे की बात हुआ करती थी लेकिन पिछले 5 सालों में इतने सारे खुलासे हुए हैं कि, लोगों को कंपनी पर भरोसा नहीं रह गया है। कंपनियों के सामने भी अपनी विश्वसनीयता साबित करने की चुनौती है।
सरकारी मामलों में भी कुछ ऐसा ही है। सरकारी पैसे से बेस्ट क्वालिटी चीज खरीदी जाती है। फिर उसे गोदाम में रख दिया जाता है। बाद में जब वह चीज गोदाम से बाहर निकलती है तो उसकी क्वालिटी बदल चुकी होती है। कई बार जांच एजेंसियों ने इस तरह के घोटाले पकड़े हैं परंतु सरकार अब तक ऐसा कोई सिस्टम नहीं बन पाई है जिसके कारण किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या घोटाले की संभावना को ही समाप्त कर दिया जाए।
Solutions to Problems and Business Opportunities
Supply Chain Transparency Platform इन सारी समस्याओं का समाधान है। यह एक ब्लॉकचेन आधारित टेक्नोलॉजी है। जिसके ऊपर सारी दुनिया भरोसा करती है। इसमें किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। प्रोडक्ट के ऊपर एक QR CODE होगा और उसे स्कैन करते ही पता चल जाएगा, डिब्बे के अंदर रखा हुआ नमक सचमुच हिमालय से लाया गया है या हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के छोटे दुकानदारों से खरीद कर, अपने ब्रांड का लेवल लगाकर बेच दिया जा रहा है। इसके कारण ग्राहकों में कंपनी के प्रति विश्वास पैदा होगा, ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी, नकली प्रोडक्ट का मार्केट ही खत्म हो जाएगा और जो कंपनी अपने विज्ञापन में झूठ नहीं बोलती, उसको सबसे ज्यादा फायदा होगा।
जो चीज और सामान भारत के बाहर एक्सपोर्ट किया जाता है। इस टेक्नोलॉजी के कारण उसकी विश्वसनीयता बढ़ जाएगी। माल एक्सपोर्ट हो जाने के बाद क्वालिटी के नाम पर रिजेक्ट नहीं होगा। एक्सपोर्ट करने वाले को भी पता होगा कि उसके माल की क्वालिटी क्या है। यदि जो आर्डर मिला है उसके अनुसार माल नहीं आया है तो कंपनी एक्सपोर्ट ही नहीं करेगी। के कारण एक तरफ मुनाफा पड़ेगा और दूसरी तरफ नुकसान कम होगा।
सरकारी स्कूल, छात्रावास, आंगनबाड़ी केंद्र और गरीबों को मुफ्त राशन बांटने वाली दुकान पर पता चल जाएगा कि जो राशन या समान जनता को दिया जा रहा है, सरकारी अधिकारियों ने वही सामान खरीदा था या गोदाम में बदल दिया गया है।
फंडिंग या ग्रांट कहां से मिलेगी
इस प्रकार के स्टार्टअप के लिए फंडिंग के बहुत सारे विकल्प है लेकिन हम कुछ चुनिंदा के बारे में बता रहे हैं। जिनकी फंडिंग या ग्रांट के पीछे कोई शर्त नहीं होती। आपको पैसा भी मिल जाता है और काम करने की आजादी भी मिल जाती है।
1. Startup India Seed Fund Scheme (SISFS)
20 लाख तक का Seed Fund केवल अपने कांसेप्ट को साबित करने के लिए मिल जाता है। इसके बाद ₹50 लाख तक का निवेश फंड मिल जाएगा।
2. MEITY – TIDE 2.0 Scheme
इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स को, चाहे वह किसी भी यूनिवर्सिटी के हों, IITs, IIITs और Incubators के ज़रिए सपोर्ट मिल जाता है। Deep Tech और Digital Product वाले स्टार्टअप के लिए ₹400000 की ग्रांट मिलती है।
3. Ministry of Agriculture – AgriTech Innovation Support (RKVY-RAFTAAR)
5 लाख तक ग्रांट इन-एड और ₹25 लाख तक Equity Grant + Incubation मिल जाता है।
4. MSME – Incubation & Idea Funding Scheme के तहत ₹15 लाख तक की ग्रांट इन-एड।
Initial Investment
कुल अनुमानित शुरुआती लागत: ₹8 लाख – ₹12 लाख।
Potential Growth
एक बार आपका Supply Chain Transparency Platform बनकर तैयार हो जाए। उसके बाद तो केवल स्केल करना है। B2B SaaS Subscription मॉडल, Data Reporting & Traceability Services एवं डिजिटल प्रमाणपत्र या API एक्सेस के माध्यम से प्राइवेट कंपनियों से काफी अच्छा पैसा बनाया जा सकता है और फिर Govt. Projects (CSR) तो भारत के लगभग हर जिले में है। यदि बात जम जाती है तो एक प्रोजेक्ट का ₹500000 साल मिलता है। इसके बदले में आपको हर रोज कोई काम नहीं करना पड़ता।
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