44 लाख रिश्वत देने के बाद तस्कर ने नारकोटिक्स इंस्पेक्टर को CBI से पकड़वाया - MP NEWS

Bhopal Samachar
CBI - सेंट्रल ब्यूरो का इन्वेस्टिगेशन की टीम ने मध्य प्रदेश में नारकोटिक्स डिपार्टमेंट के इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी इसलिए नहीं हुई क्योंकि वह रिश्वत ले रहा था बल्कि इसलिए हुई क्योंकि वह नारकोटिक्स डिपार्टमेंट की प्रचलित दरों से अधिक रिश्वत मांग रहा था। तस्कर ने 44 लाख रुपए रिश्वत देने के बाद CBI से शिकायत की और इंस्पेक्टर को गिरफ्तार करवा दिया। 

मांगीलाल गुर्जर के घर से 400 किलो डोडाचूरा जब्त हुआ था

यह मामला कंफ्यूज कर देने वाला है। समझ पाना मुश्किल है कि किस प्रकार का न्याय हुआ है। कहानी कुछ इस प्रकार है कि, उज्जैन में तैनात नारकोटिक्स इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह ने बड़ीसादड़ी स्थित मांगीलाल गुर्जर के घर पर 27 मार्च को छापा मारकर 400 किलो डोडाचूरा जब्त किया था। छापे के बाद, महेंद्र सिंह ने मांगीलाल के परिवार से कहा था कि वे चित्तौड़गढ़ के डूंगला में आला खेड़ी निवासी जगदीश मेनारिया से संपर्क कर लें। थोड़े दिन बाद जगदीश ने खुद मांगीलाल से संपर्क किया। 

नारकोटिक्स इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह ने एक करोड़ रुपए रिश्वत मांगी: CBI

इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह ने अपने प्राइवेट एजेंट जगदीश के जरिए मांगीलाल को धमकी दी कि अगर वह 1 करोड़ रुपए की रिश्वत नहीं देगा, तो उसे और उसके पूरे परिवार को नारकोटिक्स के केस में फंसा देगा। उसके बाद सौदा 53 लाख में तय हो गया। मांगीलाल तीन किश्त में दलाल के जरिए 44 लाख रुपए एजेंट जगदीश को दे चुका था। मांगीलाल के हिसाब से इतनी रिश्वत कही थी, लेकिन इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह और जगदीश मेनारिया ने बचे हुए नौ लाख रुपए की मांग की। नहीं देने पर पूरे परिवार के खिलाफ मामला दर्ज कर लेने की धमकी दी। क्योंकि अवैध सामान घर के अंदर मिला था। 

मांगीलाल को इस बात से दिक्कत नहीं थी कि उसे रिश्वत देनी पड़ रही है। उसे दिक्कत इस बात की थी कि डिपार्टमेंट में सब लोग जितनी रिश्वत लेते हैं, इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह उससे ज्यादा मांग रहा था। लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं, बल्कि रिश्वत में मांगे गए अतिरिक्त ₹9 लाख रुपए के लिए थी। मांगीलाल को 44 लख रुपए देने में दिक्कत नहीं हुई, लेकिन ₹9 लाख की मांग और दबाव, उसे ब्लैकमेलिंग लगा। 

मांगीलाल ने सीबीआई के जयपुर ऑफिस जाकर इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह की शिकायत कर दी। CBI की प्राइमरी इन्वेस्टिगेशन में शिकायत सही पाई गई। इसके बाद डीएसपी कमलेश चन्द्र तिवारी के नेतृत्व में Guerilla action प्लान किया गया। सबसे पहले रिश्वत लेते हुए एजेंट जगदीश को पकड़ा गया और जगदीश के बयान के आधार पर इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। 

इंस्पेक्टर ने तस्कर पर नारकोटिक्स एक्ट अड़ाया तो तस्कर ने CBI फायर कर दिया

इस पूरे मामले में कंफ्यूज करने वाली बात यह है कि, जिसने शिकायत की वह अपराधी है, तस्करी करता है, 44 लाख रुपए रिश्वत भी दे चुका था। यानी भला आदमी नहीं है और समाज के लिए उपयोगी भी नहीं है। जिसको पकड़ा गया वह इंस्पेक्टर है। लेकिन तस्करों को पकड़ने का काम नहीं करता था बल्कि रिश्वत की वसूली करने के लिए पद का दुरुपयोग करता था। फर्जी छापामार कार्रवाई किया करता था। ऐसे व्यक्ति को भी सिस्टम में नहीं रहना चाहिए। लड़ाई मूल रूप से दो गलत व्यक्तियों के बीच में हो रही थी। CBI ने एक गलत व्यक्ति को पकड़ लिया है। लेकिन क्या इसे सही और पूरी कार्रवाई कहा जाना चाहिए? क्योंकि जिसे पकड़वाया वह आने वाले दिनों में प्रत्येक नारकोटिक्स ऑफिसर को सीबीआई की धमकी दिया करेगा। यह भी हो सकता है केवल सीबीआई की किसी अधिकारी को रिश्वत देकर अपना defense circle बना ले। अपराधी तो अपराधी है, कुछ भी कर सकता है।

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