भोपाल, 23 नवंबर 2025: मध्य प्रदेश की राजधानी की सड़कों पर एक बार फिर संविदा कर्मचारियों का आक्रोश देखने को मिला। अंबेडकर पार्क में जुटे सैकड़ों कर्मचारियों ने अपनी नौ सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन किया और सरकार को साफ चेतावनी दी कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में आंदोलन को और व्यापक बनाया जाएगा।
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
कर्मचारियों का कहना है कि 2023 में आई संविदा नीति के ज्यादातर प्रावधान आज तक लागू नहीं हुए, जिसके चलते उन्हें बार-बार सड़क पर उतरना पड़ रहा है। सबसे बड़ी शिकायत महंगाई भत्ते को लेकर है, जो उन्हें उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर भी पूरा नहीं मिल पा रहा। प्रदर्शन करने वाले संविदा कर्मचारियों की प्रमुख मांगे इस प्रकार हैं:-
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार पूर्ण महंगाई भत्ता दिया जाए
- नियमित कर्मचारियों की तरह सभी तरह की छुट्टियां मिलें
- सीधी भर्ती के 50 प्रतिशत आरक्षित पदों में अनुभव के आधार पर संविलयन और नियमितीकरण हो
- नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के शहरी गरीबी उपशमन प्रकोष्ठ में कैडर रिव्यू किया जाए
- हर संविदा कर्मचारी को कम से कम 20 लाख रुपये का सामूहिक बीमा कवर मिले
- महिला संविदा कर्मचारियों को भी चाइल्ड केयर लीव का लाभ दिया जाए
- आयुर्वेदिक चिकित्सकों की तरह PSC पदों पर संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण हो
- संविदा नीति-2023 के सभी प्रावधानों का शत-प्रतिशत पालन किया जाए
- पुरानी पेंशन योजना लागू हो
सरकार नियमित भर्ती नहीं कर सकती तो नियमितीकरण करे
प्रदर्शन में शामिल कर्मचारियों ने बताया कि कई विभागों में वर्षों से एक ही पद पर काम कर रहे हैं, लेकिन स्थायी होने का इंतजार खत्म नहीं हो रहा। उनका कहना था कि जब सरकार नियमित पद नहीं भर पा रही तो अनुभवी संविदा कर्मचारियों को ही स्थायी क्यों नहीं कर लिया जाता।
यह प्रदर्शन मध्य प्रदेश संविदा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले हुआ, जिसमें अलग-अलग विभागों के कर्मचारी शामिल हुए। नेताओं ने ऐलान किया कि अगर दिसंबर तक मांगें पूरी नहीं हुईं तो जनवरी में भोपाल में विशाल महारैली निकाली जाएगी।
रिलेटेड जनरल नॉलेज
- मध्यप्रदेश में वर्तमान में लगभग 3 लाख से अधिक संविदा कर्मचारी विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं। 2023 की संविदा नीति में कई राहत भरे प्रावधान थे, पर ज्यादातर अभी कागजों पर ही सिमटे हैं। पिछले कुछ महीनों में इसी तरह के प्रदर्शन जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर में भी हो चुके हैं।प्रदर्शन के दौरान भारतीय मजदूर संघ से संबद्धता का जिक्र प्रमुखता से हुआ, जहां प्रदेश संयोजक दिनेश सिंह तोमर ने संविदा नीति-2023 के पालन न होने पर नाराजगी जताई।
- 20 नवंबर 2025 को ही जिला मुख्यालयों पर 'घंटी बजाओ आंदोलन' हुआ था, जो 22-23 नवंबर के धरने का पूर्वाभास था और 50% आरक्षण संशोधन के खिलाफ था।
- स्रोतों के अनुसार, ढाई हजार प्रतिनिधियों ने भोपाल पहुंचकर भाग लिया, और यह आंदोलन कुल ढाई लाख कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व कर रहा है।
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