भोपाल, 21 नवम्बर 2025: शाहपुरा इलाके में रहने वाले 65 वर्षीय बैंक मैनेजर को जैसे ही पता चला कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच शुरू हो गई है, उनके पसीने छूट गए। गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने 65 लाख रुपए दे दिए। बाद में पता चला कि वो तो ठगी का शिकार हुए हैं परंतु सवाल तो बनता है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में ऐसा क्या किया था जो जांच का नाम सुनते ही इतने घबरा गए। उन्होंने जांच का सामना करने का फैसला क्यों नहीं लिया।
अगर सहयोग नहीं किया तो अभी गिरफ्तार कर लेंगे
यह कहानी भोपाल के शाहपुरा में रहने वाले 65 साल के रिटायर्ड बैंक मैनेजर दयाराम देशमुख की है। सोमवार को एक अनजान नंबर से कॉल आया। दूसरी तरफ से आवाज आई – “आपके कार्यकाल में 4 करोड़ का फ्रॉड हुआ है। आपके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच शुरू हो गई है। अगर सहयोग नहीं किया तो अभी गिरफ्तार कर लेंगे। बातचीत में आरोपियों ने बैंक मैनेजर की बहन की जान को भी खतरा बताया।” फिर ठगों ने दयाराम जी को कमरे में अकेले बंद रहने को कहा, Signal ऐप डाउनलोड करवाया और वीडियो कॉल शुरू कर दी। स्क्रीन पर पुलिस यूनिफॉर्म पहना शख्स “ऑफिस” में बैठा था – पूरा सीन बिल्कुल असली पुलिस स्टेशन जैसा लग रहा था। ठगों ने कहा – “ये डिजिटल अरेस्ट है, अब आप घर में ही कैद हैं।”
मंगलवार को डर के मारे दयाराम जी और उनकी पत्नी बैंक पहुंचे। 5 अलग-अलग FD तोड़कर कुल 68 लाख रुपए ठगों के बताए अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए। ठग बोले – “अब खतरा टल गया, लेकिन जांच पूरी होने तक किसी को एक शब्द भी मत बताना।”
जब बेटे पियूष देशमुख को पता चला तो उन्होंने तुरंत अपने पापा को लेकर गुरुवार को स्टेट साइबर सेल ऑफिस पहुंचे और FIR दर्ज कराई।
इस मामले में ठगों को तो पुलिस पकड़ ही लेगी लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि ऐसा कौन सा मामला है जिसने एक अनुभवी रिटाडर्य बैंक मैनेजर को ठगों के जाल में फंसा दिया और उनकी बहन का इस घोटाले से क्या रिश्ता है।
.webp)