MP NEWS - अतिथि विद्वानों को मिली न्यायिक संजीवनी: उच्च न्यायालय, जबलपुर का ऐतिहासिक आदेश

दिनांक 8 जुलाई 2025 को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर की माननीय खंडपीठ ने रिट याचिका क्रमांक WP/11183/2025 (गिरवर सिंह राजपूत एवं अन्य बनाम मध्यप्रदेश शासन) पर सुनवाई करते हुए प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत guest scholars को अत्यंत महत्वपूर्ण interim relief प्रदान की। यह ऐतिहासिक आदेश माननीय न्यायमूर्ति श्री विवेक जैन द्वारा पारित किया गया।

अतिथि विद्वान गिरवर सिंह राजपूत एवं अन्य बनाम मध्यप्रदेश शासन मामला

ज्ञात हो कि याचिकाकर्ता पिछले कई वर्षों से प्रदेश के विभिन्न शासकीय महाविद्यालयों में teaching services प्रदान कर रहे हैं, किंतु समय-समय पर regular appointments अथवा transfers के कारण उन्हें कार्यमुक्त कर दिया जाता है। परिणामस्वरूप, उनकी livelihood (आजीविका) संकटग्रस्त होती है और उनके पारिवारिक जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का उच्च शिक्षा विभाग के सवाल

अपनी सेवाओं की continuity और departmental retirement age (65 वर्ष) तक job stability की मांग को लेकर याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय का सहारा लिया था। इस पर विचार करते हुए माननीय न्यायालय ने शासन को निर्देश दिया है कि वह स्पष्ट करे कि guest scholars को 65 वर्ष की आयु तक service stability क्यों नहीं प्रदान की जा सकती।

अतिथि विद्वान का ना तो बाहर ट्रांसफर किया जाएगा और ना ही सेवा समाप्त

न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि याचिका के लंबित रहने तक याचिकाकर्ता guest scholars को न तो पद से हटाया जाएगा और न ही regular appointments या transfers के आधार पर उनकी सेवाएं बाधित की जाएंगी। यदि संबंधित पद पर regular appointment होती है, तो departmental regulations के अनुसार guest scholars को अन्य शासकीय महाविद्यालयों में vacant posts पर स्थानांतरित किया जाएगा। यदि कोई guest scholar प्रस्तावित transfer को अस्वीकार करता है, तो उसे न्यायालय द्वारा प्रदान की गई इस interim relief का लाभ नहीं मिलेगा।

उक्त याचिका में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री मनन अग्रवाल द्वारा प्रभावशाली और तथ्यपूर्ण पैरवी की गई, जिसके परिणामस्वरूप यह justice-oriented निर्णय प्राप्त हुआ।

सर्वप्रथम मैं इस जीत को guest scholars को समर्पित करता हूँ। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित यह आदेश हमारे constitutional rights की रक्षा और service stability की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा। यह निर्णय न केवल हमारे right to livelihood की पुष्टि करता है, बल्कि शासन को भी बाध्य करता है कि वह guest scholars के प्रति अपने दायित्वों का legally compliant निर्वहन करे। मैं न्यायालय के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ और अधिवक्ता श्री मनन अग्रवाल के प्रभावी प्रतिवादन के लिए आभार प्रकट करता हूँ।  
डॉ. गिरवर सिंह राजपूत, संयोजक, विधि प्रकोष्ठ, महासंघ

यह निर्णय प्रदेश के सभी guest scholars के लिए hope की नई किरण लेकर आया है और उन्हें अपने academic contribution के stability की दिशा में महत्वपूर्ण constitutional support प्राप्त हुआ है। अब शासन-प्रशासन को sensitivity दिखाते हुए पवित्र श्रावण मास में permanent adjustment और fixed monthly salary का आदेश जारी करना चाहिए।  
डॉ. आशीष पाण्डेय, मीडिया प्रभारी, महासंघ

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