1 अप्रैल से रबर स्टेंप रह जाएंगे स्कूलों के प्राचार्य

भोपाल। राज्य शासन के निर्णय के अनुसार वित्तीय वर्ष 2015-16 में प्राथमिक, माध्यमिक हाईस्कूल और हायर सेकेण्डरी विद्यालयों के आहरण संवितरण अधिकार प्राचार्य और संकुल प्राचार्यो से छीनकर विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों को दे दिया जायेगा।

सरकार द्वारा आहरण संवितरण व्यवस्था केा केन्द्रीयकृत किये जाने का राज्य अध्यापक संघ ने विरोध किया है और आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय जाने की भी बात कही गई है। राज्य अध्यापक संघ के जिला शाखा अध्यक्ष डी.के.सिंगौर ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि इस व्यवस्था को लागू करने का शासन ने पूरी तरह से निर्णय ले लिया है इस व्यस्था के लागू होते ही सभी प्रकार के प्राचार्य पूर्णतः अधिकार हीन हो जायेगें।

1 अप्रैल से संचालनालय कोष एवं लेखा के सेंट्रल सर्वर से उनके डी.डी.ओ. कोड निष्क्रिय कर दिये जायेंगें लम्बित देयको का भुगतान 20 से 25 मार्च तक कर लेने को कह दिया गया है। इतना ही नहीं उनके पास के कम्प्यूटर और कर्मचारियांे को भी छीनेने के निर्देश जारी कर दिये हैं। संघ ने सरकार के इस निर्णय की कड़ी निंदा की है और कहा है कि जब अकेले प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं का आहरण संवितरण अधिकार विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों के पास था तब वे इन शालाओं का नियंत्रण नहीं कर पा रहे थे और अधीनस्थ कर्मचारियों के सारे मामले लम्बित पड़े रहते थे जिसके चलते संकुल व्यवस्था लागू की गई थी। अब प्राथमिक माध्यमिक के साथ साथ हाईस्कूल और हायरसेकेण्डरी विद्यालयों का नियंत्रण भी इनके पास चले जानें पर व्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा जायेगी। प्राचार्यो को इस तरह अधिकार हीन बनाये जाने पर संघ ने आपत्ति जतायी है।
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