भोपाल। व्यापमं की परीक्षा में पास होना है तो रिश्वत लगेगी ही। यह नियम लागू करने वाले शिक्षा माफिया को छोड़कर एसटीएफ अब उन छात्रों और उनके पेरेंट्स को अरेस्ट करने में जुट गई है जिन्होंने मजबूरी में रिश्वत दी।
इसी के चलते उज्जैन के एडिशनल कमिश्नर (राजस्व) केसी जैन के भाई विवेक जैन को एसटीएफ ने शुक्रवार शाम गिरफ्तार कर लिया। केसी जैन के बेटे अनुराग ने गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ को बताया था कि उसके चाचा विवेक जैन ने दाखिले के लिए नितिन महिंद्रा को 75 लाख रुपए दिए थे।
अदालत से मंजूर हुई अग्रिम जमानत याचिका पर जमानत भरने विवेक शुक्रवार दोपहर करीब तीन बजे एसटीएफ कार्यालय पहुंचे थे। इसी मामले में अदालत से अग्रिम जमानत मिलने के बाद जमानत भरने पहुंचे तीन अन्य छात्रों के पिताओं की भी गिरफ्तारी की गई। इनमें हरदा निवासी सनी जुनेजा के पिता किशोर जुनेजा, दमोह निवासी अमित जैन के पिता अजय कुमार और इंदौर निवासी सोमेश महेश्वरी के पिता सुरेश महेश्वरी शामिल हैं।
सवाल यह उठता है कि यदि रिश्वत देकर व्यापमं परीक्षाओं में पास होने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही थी तो उन उपभोक्ताओं का क्या दोष जिन्होंने इस सुविधा का सशुल्क लाभ उठाया। यदि अरेस्ट करना ही है तो सबसे पहले उन्हें किया जाना चाहिए जिन्होंने इस सुविधा को शुरू किया। उन तमाम अफसरों और मंत्रियों को भी अरेस्ट किया जाना चाहिए जिन्होंने इस सुविधा को संरक्षण दिया और उन माननीयों को भी अरेस्ट किया जाना चाहिए जिनकी संवैधानिक जिम्मेदारी थी कि वो इस प्रकार की तमाम अवैध सुविधाओं पर रोक लगाएं, लेकिन उनकी लापरवाही या बेवकूफी के कारण इस तरह के घोटाले हो गए। ऐसे माननीयों को इनकी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि ये तमाम माननीय जनता के पैसे से वेतन लेते हैं, सुविधाएं लेते हैं और उनका दुरुपयोग भी करते हैं।
इसके बाद रिश्वत देने वालों को भी जेल भेजिए, फिर कोई उंगली नहीं उठाएगा, परंतु माफिया को छोड़कर केवल रिश्वत देने वालों को अरेस्ट करना कहां का न्याय है श्रीमान।