भोपाल। प्रदेश के एक लाख लिपिकों की वेतन विसंगति दूर होने व एक लाख कार्यभारित कर्मचारियों को भी क्रमोन्नत वेतनमान मिलने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है। शासन ने इन दो संवर्गों समेत 60 हजार चतुर्थ श्रेणी और 55 हजार दैवेभो कर्मचारियों की मांगें फिलहाल खारिज कर दी हैं।
इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर इन मांगों से जुड़े कारणों से अवगत कराया है। शासन के रवैये पर कर्मचारी संगठनों ने आक्रोश जाहिर कर आंदोलन की चेतावनी दे डाली। जीएडी द्वारा जारी पत्र में कर्मचारी संगठनों के 51 सूत्रीय मांग पत्र का जिक्र किया गया है। पत्र में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की मांगों का भी उल्लेख है। पत्र की प्रतिलिपि कुछ कर्मचारी संगठनों के अध्यक्षों को भी भेजी गई है।
जीएडी ने पत्र में किस संवर्ग के लिए क्या कहा
लिपिक- मप्र शासकीय लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ द्वारा दायर अवमानना याचिका खारिज की जा चुकी है। अब दोबारा रिट दायर की गई है, जो अदालत में विचाराधीन है।
ये है मांग - चौधरी वेतनमान से चली आ रही वेतन विसंगति हाईकोर्ट के आदेशानुसार दूर की जाए।
संगठन का रुख क्या था- वेतन विसंगति दूर करने की मांग को लेकर लिपिकों ने पिछले साल जुलाई में 26 दिन तक हड़ताल की थी। कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चा ने भी पिछले साल अप्रैल में मुख्यमंत्री को सौंपे 51 सूत्रीय मांग पत्र में इस मांग को शामिल किया था। शासन ने लिपिकों की हड़ताल अवधि के दौरान वेतन विसंगति दूर करने के लिए एक समिति भी बनाई थी।
कार्यभारित कर्मचारी- कार्यभारित कर्मचारियों को नियमित स्थापना में लेने संबंधी राज्य वेतन आयोग की सिफारिश का राज्य शासन द्वारा परीक्षण किया जा रहा है।
ये है मांग: अग्रवाल वेतन आयोग की सिफारिश के मुताबिक कार्यभारित कर्मचारियों को नियमित कर क्रमोन्नत व समयमान वेतनमान दिया जाए।
संगठन का रुख क्या था- इस मांग को लेकर कर्मचारी संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने पिछले साल अप्रैल में हड़ताल की थी।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी-- पदोन्नति नियम 2002 के प्रावधानों के तहत पदोन्नति समिति की सिफारिश के आधार पर पदोन्नति की जाती है। साल में दो बार डीपीसी करने के निर्देश पिछले साल 24 अप्रैल को दिए जा चुके हैं। चतुर्थ से तृतीय श्रेणी के पद पर पदोन्नति कोटा 20 को संशोधित कर 25 फीसदी किए जाने का प्रावधान है।
ये है मांग - पदोन्नति समिति की बैठक साल में दो बार अनिवार्य तौर पर हो और पदोन्नति दी जाए। चतुर्थ से तृतीय श्रेणी पदोन्नति कोटा 25 से 35 फीसदी किया जाए।
दैनिक वेतन भोगी- 16 मई 2007, 6 सितंबर 2008 को परिपत्र जारी कर दैवेभो के नियमितीकरण के निर्देश दिए गए। जिसके अनुसार संबंधित विभागों द्वारा रिक्त पदों पर नियमितीकरण किया जा रहा है। दैवेभो के लिए सेवा शर्तें नियम 2013 भी बनाए गए हैं।
ये है मांग - दैवेभो को रिक्त पदों पर जल्द नियमित किया जाए। बाकी बचे ऐसे कर्मचारियों को छत्तीसगढ के समान वेतनमान देकर आश्रितों को पहले की तरह अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।
क्या कहते हैं कर्मचारी नेता
इन चारो संवर्गों की मांगें जायज हैं। जीएडी को पहले कर्मचारी संगठनों से राय ली जानी चाहिए, हम जल्द ही सीएम से मिलेंगे, मांगें पूरी नहीं की तो प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
अरुण द्विवेदी, प्रांताध्यक्ष, मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ
शासन को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि वेतन विसंगति क्या है। मंत्रालय में बैठे अफसर मनमानी कर रहे हैं, हम मुख्यमंत्री से मिलकर वास्तविकता से अवगत कराएंगे, जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करेंगे।
एमपी द्विवेदी, महामंत्री मप्र लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ
मुख्यमंत्री ने पिछले साल 16 अप्रैल को कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में उक्त मांगें मंजूर करने का वादा किया था। 51 सूत्रीय मांग पत्र पर विस्तार से चर्चा की गई थी। जीएडी के रुख से जाहिर है कि वादा खिलाफी की जा रही है, अब हम आंदोलन करेंगे। चुनाव से पहले शासन ने कर्मचारियों से वादा किया था, शासन का यह रवैया कर्मचारियों के साथ धोखा है। पदोन्नति कोटा 35 फीसदी कराकर ही रहेंगे। यदि मांगें नहीं मानी गईं तो सड़क पर उतरकर इस आदेश का विरोध करेंगे।
निहाल सिंह जाट, प्रांताध्यक्ष मप्र लघु वेतन कर्मचारी संघ