चुनावी रिपोर्टिंग के दौरान इन नियमों का पालन करना होगा मीडिया को

भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग ने मध्यप्रदेश सहित पाँच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1991 की धारा 126 के तहत मीडिया कव्हरेज के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

आयोग ने निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रक्रिया के निर्धारित समय के समाप्ति के 48 घंटे पहले की अवधि के दौरान टीव्ही तथा अन्य यंत्रों पर चुनाव संबंधी किसी भी विषय के प्रसारण आदि को प्रतिबंधित किया है। इसकी अवहेलना करने पर दो साल की जेल या जुर्माना दोनों दिये जा सकेंगे।

आयोग को निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान टीव्ही चैनलों द्वारा प्रसारित किये जाने वाले पैनल परिचर्चाओं/वाद-विवाद तथा अन्य समाचारों और ताजा स्थिति पर आधारित कार्यक्रमों में अधिनियम के प्रावधानों की अवहेलना की शिकायतें प्राप्त होती रही हैं।

निर्वाचन आयोग ने पहले भी स्पष्ट किया है कि चुनाव संबंधी किसी भी विषय को चुनावी क्षेत्र में चुनाव प्रक्रिया के निर्धारित समय की समाप्ति से 48 घंटे की अवधि के दौरान टीव्ही आदि पर प्रदर्शन प्रतिबंधित है। आयोग ने इस बात को पुन: दोहराया है कि टीव्ही/रेडियो चैनल व केबल नेटवर्क 48 घंटे की अवधि के दौरान परिचर्चाओं में शामिल पैनलिस्ट/भागीदारों के विचारों सहित ऐसी कोई बात प्रसारित नहीं करेंगे जिससे यह आभास हो कि किसी राजनैतिक दल या उम्मीदवार की जीत की संभावना को प्रोत्साहित/पूर्वाग्रहित अथवा निर्वाचन को प्रभावित किया जा रहा है।

उक्त समयावधि से भिन्न समयावधि के दौरान टीव्ही/रेडियो चैनल व केबल नेटवर्क राज्य/जिला/स्थानीय अधिकारियों से संबंधित प्रसारण की अनुमति प्राप्त करने के लिये संपर्क कर सकेंगे। उनका प्रसारण आदर्श आचरण संहिता एवं सूचना व प्रसार और केबल नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम के दायरे में होना चाहिए। उन्हें पेड न्यूज एवं संबंधित मुद्दों के संबंध में आयोग द्वारा 27 अगस्त, 2012 को जारी निर्देशों के प्रावधानों का पालन भी करना होगा।

आयोग ने सभी प्रचार माध्यमों का ध्यान प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा जारी निर्देशों की ओर दिलाया है, जिसके अनुसार प्रेस का दायित्व होगा कि वह निर्वाचन व उम्मीदवारों से संबंधित वस्तुपरक जानकारियाँ दें।

समाचार पत्रों से यह आशा नहीं की गई है कि वे अस्वस्थ्य चुनावी अभियान, किसी राजनैतिक दल/उम्मीदवार के प्रति अतिशयोक्तिपूर्ण समाचार के प्रसारण में लिप्त हों।

चुनाव अभियान की रिपोर्टिंग करते समय समाचार पत्रों को किसी उम्मीदवार द्वारा उठाये गये सवाल की अनदेखी करते हुये उसके प्रतिद्वंदी पर आक्षेप नहीं करना चाहिए। निर्वाचन प्रावधानों के अंतर्गत साम्प्रदायिक अथवा जाति आधारित चुनाव अभियान प्रतिबंधित है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने निर्देश दिये हैं कि प्रेस को ऐसे समाचार प्रसारित करने से बचना चाहिए, जिनसे लोगों के मध्य धर्म, जाति, नस्ल, सम्प्रदाय या भाषा को लेकर वैमनस्यता उत्पन्न हो।

प्रेस काउंसिल के अनुसार प्रेस को असभ्य समाचार अथवा आलोचनात्मक बयान प्रकाशित करने से बचना चाहिए, जिनसे किसी उम्मीदवार के व्यक्तित्व व आचरण या उम्मीदवारी अथवा नाम वापसी को लेकर उसके निर्वाचन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो। प्रेस को उम्मीदवार/राजनैतिक दल के विरूद्ध असत्यापित समाचार प्रकाशित नहीं करना चाहिए।

प्रेस को किसी उम्मीदवार/राजनैतिक दल के छवि निर्माण के लिये किसी प्रकार का आर्थिक या अन्य प्रलोभन स्वीकार नहीं करना चाहिए। उसे किसी उम्मीदवार/राजनैतिक दल अथवा उनकी ओर से किसी अन्य द्वारा लिया गया आतिथ्य या अन्य सुविधाएँ स्वीकार नहीं करना चाहिए। समाचार पत्रों से यह आशा नहीं की जाती है कि वे किसी विशेष उम्मीदवार/राजनैतिक दल के प्रति समर्थन जुटाने में लिप्त होंगे।

प्रेस को किसी राजनैतिक दल/सत्ताधारी दल के बारे में कोई ऐसा विज्ञापन स्वीकार/प्रकाशित नहीं करना चाहिए जिससे उसकी अदायगी सरकारी खजाने से हो। प्रेस को निर्वाचन आयोग/रिटर्निंग ऑफिसर या मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों/आदेशों का पालन करना चाहिए।


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