इन्द्रजीत सिंह नाथावत। राज्य शिक्षा आयोग की एइओ की नियुक्ति संदेहास्पद और विवादस्पद हो गई है. राज्य शिक्षा आयोग में एरिया एजुकेशन ऑफिसर के 3293 पदों पर भर्ती के लिए 23/08/2013 को विज्ञापन जारी किया था। इस विभागीय भर्ती में उच्च श्रेणी शिक्षक, मिडिल प्रधान अध्यापक, और अध्यापक वर्ग 2 पात्र थे।
उक्त पदों के लिए ऑनलाइन परीक्षा ०८/०९/२०१३ को प्रदेश भर के निर्धारित परीक्षा केन्द्रों पर ली गई .१३/०९/२०१३ को परीक्षा परिणाम घोषणा के नाम पर ३५६८ लोगो की सूचि mponline पर अपलोड कर दी .और १३ से १६ sep तक डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का टाइम टेबल घोषित कर दिया .अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया की ये चयन सूचि है तो परिणाम घोषित किये बिना, सार्वजनिक किये बिना चयन सूचि कैसे डाल दी .परीक्षा में बैठे हर व्यक्ति को अपना परिणाम और वेटिंग जानने का लोकतान्त्रिक अधिकार है, लोकशिक्षण संच्लानालय द्वारा सीधे सीधे सूची डालना किसी बड़ी धांधली की आशंका को जन्म देता है.
परीक्षा में कितने लोग बैठे थे कितने पास हुए कितने फ़ैल हुए किसी को पता नहीं -सिवाय परीक्षा लेने वालो के.चयन सूचि के बाद वेटिंग क्यों जारी नहीं की गई .भर्ती और चयन प्रक्रिया को इतना पोशीदा रखा गया की आसानी से सेटिंग की जा सके .एक ही प्रकृति के पदों के लिए १० सेट से परीक्षा लेना और प्रश्न अलग अलग होना परीक्षा की विश्वनीयता पर प्रश्न चिन्ह है .लोकसेवा आयोग की परीक्षा तक में सेट अलग होता है पर प्रश्न अलग क्रम के साथ वाही होते है.
किसी को सरल और किसी को कठिन सेट आवंटी करने से परीक्षा अपने आप में दूषित हो गई है .विभाग की परीक्षा में आरक्षण के साथ उत्तीर्ण अंको में भी आरक्षण देकर नियमो का मजाक बनाया गया है .व्यापम के स्थान पर अन्य निकाय से परीक्षा करवाना भी संदेहास्पद है .अध्यापक संवर्ग के अध्यापको का अनुभव ०१/०४/२००७ से माना है जो गलत है शिक्षाकर्मी वर्ग२ की सेवाए २००३ से नियमित है फिर यह भेदभाव क्यों किया गया है .यह नियम और भर्ती धांधली से परिपूर्ण है .कोर्ट की शरण लेकर भारती को चुनोती देना ज़रूरी है।
इन्द्रजीत सिंह नाथावत
बखतगढ़ बदनावर धार