रायसेन। प्रदेश की राजधानी से सटा जिला रायसेन इन दिनों भ्रष्ट अधिकारियों की लापरवाही एवं चंद सिक्कों की खातिर नियमों की आड़ में खनिज माफियाओं की चारागाह बन चुका है। जब से यहां के खनिज विभाग का प्रभार सहायक खनिज अधिकारी प्रदीप तिवारी के पास आया है, तब से खनिज माफियाओं की तो मानों चल पड़ी है और इन महाशय के लिए नियम, कायदे कोई मायने नहीं रखते हैं, फिर चाहे वो सर्वोच्च न्यायालय या फिर प्रदूषण बोर्ड के ही क्यों न हों। और तो और खनिज विभाग द्वारा कलेक्टर को भी अंधेरे में रखकर ऐसे कृत्य कराने का कारोबार जारी है।
प्राप्त जानकारी अनुसार जिला खनिज विभाग द्वारा नियमों की आड़ में दिनांक 27 अपै्रल को अपने पत्र क्र. 370/खनिज/2013 से मात्र कुछ पैसों की खातिर एनएच-86 मार्ग निर्माता क पनी को तहसील रायसेन के ग्राम बिलारखोह के किसान अब्दुल मलिक की सहमति पर मे. अ योदय हाउसिंग कंसट्रक्शन को खसरा क्रमांक 61/3 रकबा 9.00 एकड़ पर कलेक्टर के अनुमोदन पश्चात् यह कहते हुए अनुमति प्रदान की थी कि भूमि ऊबड़-खाबड़ होने के कारण उसके समतलीकरण से निकली 1.00 लाख घनमीटर की अग्रिम रायल्टी जमा करने पर 10 शर्तों का पालन करने पर दी जाती है, जिसमें मु य थी- वन संरक्षण अधिनियम 1980 का पालन सुनिश्चित करना एवं सुरक्षा के उपाय करना होगा, साथ ही मु य बिन्दु यह कि नाले एवं सड़क से 50 मीटर दूरी छोड़कर मिट्टी या मुरम निकाली जाएगी। अगर इन शर्तों का उल्लंघन पाया गया तो अनुज्ञा निरस्त कर दी जाएगी।
- पर्दे के पीछे का खेल
विभाग द्वारा नियमों का हवाला देकर अपनी जेब भरने के बाद अनुमति तो दे दी, पर फिर कभी शर्तों की हो रही अनदेखी को देखना गवारा नहीं किया कि शर्तों का पालन हुआ अथवा नहीं। वहीं ठेकेदार द्वारा भी रुपयों के दबाव में समतलीकरण तो दूर की बात कहीं-कहीं 70 से 100 फीट गहरी खुदाई करके अपने काम का खनिज निकाल लिया। मजेदार बात यह भी है कि नक्शे में दर्शाए गए सरकारी नाले एवं अटल ज्योति अभियान अंतर्गत खड़े किए गए नए पोलों को भी ठेकेदार ने नहीं ब शा और ग्रामीण मार्ग से महज 5 फीट की दूरी पर 70 से 80 फीट गहरी खुदाई वह भी बिना किसी सुरक्षा इंतजामों के कर दी गई, जिससे इस मार्ग से गुजरने वाले किसानों की जान पर बन आई है। भविष्य में किसी बड़ी दुर्घटना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।
- क्या हैं नियम
जानकारों की मानें तो मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 के नियम 68 (6) में प्राप्त अनुमति लेकर ऊबड़-खाबड़ जगह का समतलीकरण किया जा सकता है। अगर गहरी खुदाई की जाती है तो प्राप्त अनुमति की शर्तों के उल्लंघन की श्रेणी में आता है, जिसमें स्वत: ही अनुमति निरस्त हो जाती है। साथ ही उत्खनन कर्ता पर उत्खनन का प्रकरण भी कायम कर विभाग उससे जुर्माना वसूल कर सकता है।
- करोड़ों के राजस्व का चूना
अगर प्रकरण की ठीक तरीके से जांच हो तो पैमाईश के बाद प्रकरण बनने पर सड़क निर्माता क पनी द्वारा एक लाख घनमीटर से कहीं अधिक उत्खनन के सबूत आज भी मौके पर मौजूद हैं। अगर उक्त प्रकरण में बाहरी टीम द्वारा जांच की जाकर प्रकरण तैयार हो तो उक्त क पनी से करोड़ों का जुर्माना वसूला जा सकता है, परन्तु ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के रहते यह काम मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन नजर आता है, जिन्हें राजस्व की नहीं अपने हितों की ज्यादा चिंता है।
- जानकारी देने में कतराते अधिकारी
जब इस संबंध में खनिज इंसपेक्टर श्री जैन से जानकारी चाही तो उनका कहना था कि तिवारी जी ही बता पाएंगे और फोन काट दिया। खनिज अधिकारी श्री तिवारी से मोबाइल पर चर्चा करना चाही तो पहले तो घंटी जाती रही, फोन नहीं उठा। बाद में स पर्क करने पर उनका मोबाइल ही स्विच ऑफ हो गया। इससे भी प्रतीत होता है कि अधिकारी कितने इन माफियाओं के बोझ तले दबे हुए हैं कि मीडिया के सामने मुंह तक नहीं खोलना चाहते।
फैक्ट्रियों में भी खप रहा अवैध खनिज
वहीं ग्राम सेहतगंज में निर्माणाधीन फैक्ट्रियों में भी इन दिनों जमकर अवैध उत्खनन का माल सत्ताधारी दल के लोग खपा रहे हैं। दर्जनों ड फर अवैध मुरम खुलेआम प्रतिदिन खपाई जा रही है और यह काम रात के अंधेरे में ज्यादा तेज हो जाता है। हो भी क्यों न, खनिज अमले की मौन स्वीकृति जो है। यह सिलसिला विगत एक माह से बदस्तूर जारी है, जबकि प्रतिदिन इसी मार्ग से अप-डाउन करने वाले खनिज अधिकारी को यह क्यों नजर नहीं आता, शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि सब काम सेटिंग से हो रहा है, तभी तो विभाग आंखें बंद किए है एवं जिले की अकूत खनिज स पदा पर बिना किसी अनुमति के खनिज माफिया राज कर रहे हैं। वह दिन दूर नहीं जब जिला भी राजस्थान की तरह गड्ढे एवं पोखरों में तब्दील हो जाएगा।