होशंगाबाद। समाज की भलाई के लिए उम्र कभी आड़े नहीं आती यह मध्यप्रदेश के एक 42 वर्षीय व्यक्ति ने साबित किया है। अभी तक शरद कुमरे नाम का यह शक्स करीब 50 बार रक्तदान कर चुका है और 90 रक्तदान शिविर लगा चुका है।
कुमरे ने कहा कि उनके इस काम से दूसरे लोगों को प्रोत्साहन मिला है। पहले जो लोग डरते थे वह अब इसके लिए आगे आ रहे हैं। रक्तदान से जाहिर तौर पर कोई नुकसान नहीं होता। बस लोगों का डर दूर करने की जरुरत है सच्चाई वह खुद ही समझ जाएंगे।
कुमरे ने सिर्फ दो साल में ही 90 रक्तदान शिविर लगाए हैं। इस पर सवाल पूछे जाने पर कुमरे ने कहा कि उनके लिए यह मिशन है। इसका कारण यह है कि साल 2001 में उनकी बहन आतंकवादियों से लड़कर मर गई थी। चार आतंकवादियों से लड़ने के बाद वह अपने प्राण खो बैठी। मेरे एक भतीजे की मौत भी खून की कमी से हुई थी। इस कारण मेरे लिए रक्तदान करना मिशन है।
कुमरे ने सबसे पहले अपने पिता के लिए 17 की उम्र में रक्तदान किया जब साल 1993 में मुंबई बम धमाकों से दहला था। यही नहीं रक्तदान के अलावा कुमरे एक पर्यावरण कार्यकर्ता भी हैं जो कि सभी रक्तदातो को पौधे देते हैं।