भोपाल। एक बार फिर पेट्रोल एवं डीजल के दाम बढ़ा दिए गए हैं। बार बार बढ़ रही इस मंहगाई से अब जनता त्रस्त हो गई है और उसके चेहरे पर झुंझलाहट साफ दिखाई दे रही है। इस मामले लेकर प्रतिक्रियाएं जानने पर भोपालसमाचार.कॉम की टीम राजधानी की सड़कों पर उतरी तो लोगों का कहना था कि ये इंजेक्शन से खून क्यों निकाला जा रहा है, सरकार सीधे गला क्यों नहीं रेत देती।
एक निजी कंपनी में कार्यरत असिस्टेंट मैनेजर मुकेश दुबे का कहना है कि यह सरकार का षडयंत्र है। कुछ कंपनियों और व्यापारियों को फायदा देने के लिए सरकार आम जनता को चूसने का काम कर रही है।
हाउसवाइफ दीपा जोशी का कहना है कि साल में एक बार लाभ हानि की गणना की जाती है, लेकिन ये सरकार तो हर रोज घाटे की कहानी लेकर बैठ जाती है। इस कांग्रेस सरकार से तो इंदिरा गांधी की सरकार ज्यादा ठीक थी।
बीयू स्टूडेंट प्रभात शुक्ला का कहना है कि केन्द्र हो या राज्य सभी पार्टियों के नेता एकजुट हो चुके हैं और अपने फायदे के लिए उन्होंने जनता को अपने हाल पर छोड़ दिया है। छोटे छोटे कर्मचारियों के यहां करोड़ों निकल रहे हैं। यह सबकुछ नेताओं के रहमोकरम पर ही हो रहा है। अब तो अल्लाह ही राखा।
एक सरकारी कर्मचारी सुरेश का कहना है कि यदि सरकार चाहे तो मंहगाई एक पैसा नहीं बढ़ सकती। ये सब पॉलिटिकल केल्कूलेशन हैं, लेकिन समस्या यह है कि अब जनता के पास विकल्प भी नहीं है।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रेमचन्द्र साहू का कहना है कि नेताओं पर तो कोई भरोसा था ही नहीं, एक अन्ना से उम्मीद जगी थी अब वो भी खत्म हो गई। सहन कर रहे हैं जब तक हो रहा है नहीं तो बगावत के अलावा क्या करेंगे।
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