MLA संजय पाठक की जांच करने के लिए 5 जिलों के कलेक्टरों को लगाया - Madhya Pradesh

भोपाल, 10 दिसंबर 2025
: कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए विधायक संजय पाठक अब किसी फिल्म या वेब सीरीज के लिए मसाला स्टोरी बन गए हैं। भारत के राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने संजय पाठक के कथित कांड की जांच के लिए 5 जिलों के कलेक्टरों को लगाया है। पॉलिटिक्स का पावर देखिए, अब तक केवल एक कलेक्टर ने रिपोर्ट दी है। 

कलेक्टर ने रिपोर्ट नहीं दी तो कलेक्टर के खिलाफ समन जारी होगा

मध्य प्रदेश के कटनी जिले से बीजेपी विधायक संजय पाठक अब तक हर आरोप का सामना करते हुए आ रहे हैं। किसी भी मामले में दोषी घोषित नहीं किए गए और ना ही दंडित किए गए हैं। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने उनके खिलाफ लगे आरोपों पर गंभीरता दिखाते हुए कटनी, जबलपुर, उमरिया, डिंडौरी और सिवनी के कलेक्टरों को आदिवासी समुदाय के नाम पर बेनामी जमीन खरीदी के मामले की जांच करने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने स्पष्ट कहा है कि एक माह के अंदर रिपोर्ट जमा होनी चाहिए, वरना समन जारी कर कलेक्टरों या उनके प्रतिनिधियों को तलब किया जाएगा।

फ्लैशबैक - जांच की जरूरत क्यों पड़ी

यह मामला बैगा जनजाति के साथ कथित धोखाधड़ी से जुड़ा है, जहां विधायक पाठक पर अरबों रुपये कीमत की जमीन सस्ते दामों में हड़पने का इल्जाम लगा है। शिकायतकर्ता दिव्यांशु मिश्रा अंशु ने 15 सितंबर 2025 को आयोग को आवेदन दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि पाठक ने अपने चार आदिवासी कर्मचारियों - रघुराज सिंह गौड़, नत्थू कोल, राकेश सिंह गौड़ और प्रहलाद कोल - के नाम पर डिंडौरी जिले के बजाग तहसील में पिपरिया माल, बघरेली सानी, सरई टोला और हर्रा टोला जैसे इलाकों से 795 एकड़ जमीन खरीदी है। यह खरीद 2025 के बाद से हुई है, और इसका मकसद बाक्साइट खदानों को मंजूरी दिलाना बताया जा रहा है।

आयोग ने 5 दिसंबर को पत्र भेजकर इन जिलों के कलेक्टरों से तथ्यों और टिप्पणियों की मांग की है। रिपोर्ट व्यक्तिगत रूप से या अन्य माध्यमों से जमा करने को कहा गया है। अगर समय पर जवाब न मिला तो संविधान के अनुच्छेद 338(क) के खंड 8 के तहत सिविल कोर्ट की ताकतों का इस्तेमाल कर समन जारी किया जाएगा।

सिवनी, जबलपुर, कटनी और उमरिया के कलेक्टर जवाब नहीं दे रहे

कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा की शिकायत पर मुख्यमंत्री सचिवालय ने भी जांच के आदेश दिए हैं। इसके बाद जनजातीय कार्य विभाग ने कलेक्टरों को पत्र भेजकर तुरंत जांच और कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं। शिकायतकर्ता दिव्यांशु ने बताया कि डिंडौरी कलेक्टर ने ही रिपोर्ट भेजी है, जबकि सिवनी, जबलपुर, कटनी और उमरिया के कलेक्टरों ने अब तक जवाब नहीं दिया। इस पर आयोग ने उन्हें अंतिम चेतावनी दी है।

1100 करोड़ की जमीन को थ्रोअवे प्राइस पर खरीदा गया

आरोप है कि इन जमीनों की मार्केट वैल्यू 1100 करोड़ रुपये से ज्यादा है, लेकिन इन्हें थ्रोअवे प्राइस पर खरीदा गया। आदिवासी समुदाय की आजीविका पर यह सीधा असर डाल रहा है, जिससे लोग मजबूरी में माइग्रेट करने को मजबूर हो रहे हैं।

विधायक संजय पाठक से संबंधित अन्य समाचार 

इस मामले से जुड़े एक अन्य विवाद में विधायक संजय पाठक पर सहारा ग्रुप की जमीनों को कम दामों में खरीदने का आरोप लगा है। जनवरी 2025 में ईओडब्ल्यू ने भोपाल, जबलपुर और कटनी में 310 एकड़ जमीन के सौदे की जांच शुरू की, जहां 1000 करोड़ की वैल्यू वाली प्रॉपर्टी को महज 90 करोड़ में खरीदा गया। सपा ने इसे घोटाला बताते हुए सरकार पर सवाल उठाए।

सितंबर 2025 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा ने एक माइनिंग केस से खुद को अलग किया, क्योंकि पाठक ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की थी। कोर्ट ने इसे रिकॉर्ड पर डाला।

नवंबर 2025 में आदिवासी संगठनों ने कलेक्टरेट पर 1135 एकड़ जमीन घोटाले के खिलाफ प्रदर्शन किया, जहां चार नामित कर्मचारियों को मिसिंग बताया गया। दिग्विजय सिंह ने जून 2025 में डिंडौरी पहुंचकर बैगा आदिवासियों का समर्थन किया और पाठक पर फ्रॉड का आरोप लगाया।

अक्टूबर 2025 में चार आरोपी आदिवासी लापता हो गए, जिसकी जांच चल रही है। ये सभी घटनाएं पाठक के माइनिंग बिजनेस से जुड़ी बताई जा रही हैं।
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