BHOPAL SAMACHAR का असर: तीन सरकारी शिक्षक, पटवारी और पादरी गिरफ्तार, धर्मांतरण करवा रहे थे

भोपाल, 23 दिसंबर 2025
: मध्य प्रदेश के प्रतिष्ठित न्यूज़ पोर्टल भोपाल समाचार डॉट कॉम की एक और खबर का असर हुआ है। "SHIVPURI MP में सरकारी कर्मचारी धर्मांतरण करवा रहे हैं" खबर के प्रकाशन के 24 घंटे के भीतर तीन सरकारी शिक्षक, पटवारी और पादरी को गिरफ्तार कर लिया गया। पिछले कई दिनों से विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता इस मुद्दे को उठा रहे थे परंतु शिवपुरी के कलेक्टर ध्यान नहीं दे रहे थे और सरकारी कर्मचारियों का इंवॉल्वमेंट होने के कारण पुलिस भी एक्शन नहीं ले रही थी। 

जिनके नाम बताए थे वह सब गिरफ्तार

दरअसल, 22 दिसंबर को भोपाल समाचार डॉट कॉम द्वारा इस मुद्दे को उठाया गया। इसी के साथ यह मामला राजधानी में चर्चा का विषय बन गया (यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं)। बात मुख्यमंत्री तक पहुंच गई। जब छानबीन की गई तो खबर सही पाई गई। खबर का असर ये हुआ कि आज 23 दिसंबर को शिवपुरी पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। गिरफ्तार होने वालों में स्थानीय पादरी अमजी भील, पटवारी सुगनचंद पैंकरा, शिक्षक वीरेंद्र कुमार (25 साल से पदस्थ), शिक्षिका अनीता भगत (27 साल से पदस्थ) और शिक्षिका राजपति बाई (24 साल से पदस्थ) शामिल हैं।

कलेक्टर की नाक के नीचे 4-5 सालों से धर्मांतरण हो रहा था

पुलिस जांच में सामने आया कि ये लोग पिछले 4-5 सालों से ये नेटवर्क चला रहे थे। गरीब आदिवासी परिवारों को बच्चों की अच्छी education, लड़कियों की शादी कराने, सरकारी job दिलवाने और हिंदू धर्म छोड़ ईसाई बनने पर 25 हजार रुपये cash देने का लालच देते थे। आरोपियों के पास से धर्म परिवर्तन से जुड़ी सामग्री भी बरामद हुई है।

ये मामला ग्राम घूघला के रहने वाले हमीर सिंह भील की शिकायत पर सामने आया। खबर के प्रकाशन के बाद 24 घंटे के भीतर शिवपुरी के SP अमन सिंह राठौड़ के निर्देश पर बदरवास थाना प्रभारी रोहित दुबे की टीम ने सभी आरोपियों को पकड़ लिया। केस मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 और पुराने कानून की संबंधित धाराओं में दर्ज किया गया है।

प्रशासनिक संरक्षण में 400 लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया

लोकल रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले छह सालों में करीब 400 लोगों का धर्म परिवर्तन किया गया था। प्रशासनिक संरक्षण में उनकी हिम्मत इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि, वन विभाग की सरकारी जमीन पर कब्जा करके 30X80 स्क्वायर फीट इलाके में चर्च का निर्माण करवाया जा रहा था। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने अवैध निर्माण को लेकर दबाव बनाया तो निर्माण कार्य रुकवा दिया गया था परंतु धर्मांतरण करवाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई थी।
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