भोपाल, 14 नवंबर 2025: मंदसौर में रहने वाले पीडब्ल्यूडी इंजीनियर कमल जैन के बेटे हर्शुल जैन की गिरफ्तारी एक अपराध से ज्यादा सामाजिक मुद्दा है। वह बिजनेस करना चाहता था। उसने स्टार्टअप शुरू किया था। ऐसी स्थिति में युवाओं को फैमिली सपोर्ट की सबसे ज्यादा जरूरत होती है लेकिन जब फैमिली सपोर्ट नहीं मिलता तो युवा कुछ ऐसा कर डालते हैं जो उनके करियर को बर्बाद कर देता है। इसके बारे में सामाजिक विचार विमर्श की आवश्यकता है ताकि एक माहौल बन सके। कृपया इस न्यूज़ को पढ़िए और अपने विचारों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर कीजिए। यह सामाजिक व्यवस्था में आपका योगदान होगा।
बिजनेस में लॉस हो गया था फैमिली सपोर्ट नहीं कर रही थी
कुछ महीनों पहले से ही हर्शुल आर्थिक संकट से जूझ रहा था। वह कोटा में एक इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान चला रहा था, साथ ही स्थानीय स्तर पर एक छोटी देशी चाय दुकान भी संभालता था। इन दोनों कारोबारों में लगातार घाटा हो रहा था। ऊपर से, कोटा में ही कूलर की जाली बनाने वाली एक फैक्ट्री शुरू करने का सपना देख रहा था, जिसके लिए उसे भारी पूंजी की जरूरत थी। लेकिन कर्ज का बोझ इतना बढ़ गया कि हर्शुल ने एक खतरनाक रास्ता चुना। उसने अपने तीन करीबी दोस्तों: गणपत सिंह, जनरल सिंह (बलौदा, बूंदी) और कुलदीप अमरालिया (चौराया, बूंदी), के साथ मिलकर फर्जी अपहरण की योजना बनाई। मकसद साफ था: परिवार से 50 लाख रुपये लेकर कर्जमुक्त हो जाना।
फूल प्रूफ प्लान बनाया था
गुरुवार को सुबह करीब 8 बजे, हर्शुल ने घरवालों को बताया कि वह कोटा अपनी दुकान के काम से जा रहा है। शामगढ़ के सर्किट हाउस के पीछे बने सरकारी बंगले में रहने वाले उसके परिवार को शक की कोई गुंजाइश नहीं थी। हर्शुल बाहर निकला और योजना के मुताबिक गायब हो गया। उसके दोस्तों ने मोबाइल लोकेशन और कॉल डिटेल्स को मैनिपुलेट करने की तैयारी कर ली थी।
दोपहर करीब 4 बजे, हर्शुल के ही मोबाइल नंबर से उसके परिवार को एक कॉल आया। कॉल में अपहरणकर्ताओं ने खुद को अपहरण का जिम्मेदार बताया और 50 लाख रुपये की फिरौती की सख्त मांग की। परिवार में हड़कंप मच गया। पिता कमल जैन, जो खुद पीडब्ल्यूडी इंजीनियर हैं, तुरंत स्थानीय शामगढ़ पुलिस थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि बेटा सुबह कोटा जाने निकला था, लेकिन रास्ते में ही उसका अपहरण हो गया।
मंदसौर पुलिस की सक्रिय भूमिका
शिकायत मिलते ही मंदसौर पुलिस फौरन हरकत में आ गई। एसपी विनोद कुमार मीणा ने तुरंत एक विशेष टीम गठित की और तलाशी अभियान तेज कर दिया। कोटा और राजस्थान के कई इलाकों में मोबाइल लोकेशन के आधार पर छापेमारी शुरू हो गई। शुरू में यह मामला एक गंभीर अपहरण लग रहा था, लेकिन पुलिस को जल्द ही हर्शुल के मोबाइल लोकेशन और कॉल डिटेल्स में कई विरोधाभास नजर आए। लोकेशन बार-बार बदल रही थी, जो सामान्य अपहरण से मेल नहीं खा रही थी। तकनीकी जांच ने पुलिस को संदेह की किरण दिखाई।
रात में खुलासा: करीबी दोस्त की पूछताछ से सच्चाई सामने
जांच के दौरान पुलिस ने हर्शुल के सबसे करीबी दोस्त गणपत सिंह को हिरासत में ले लिया। कड़ी पूछताछ में गणपत टूट गया और पूरा राज खोल दिया। उसने बताया कि यह सब हर्शुल की ही साजिश थी। कर्ज के दबाव में हर्शुल ने दोस्तों को शामिल किया था, ताकि परिवार फिरौती की रकम जुटा ले और वह कर्ज चुका सके। गणपत ने हर्शुल के कारोबार के घाटे और फैक्ट्री के सपने का भी जिक्र किया। इससे केस की दिशा पूरी तरह बदल गई—यह अब फर्जी अपहरण का मामला बन गया।
हर्शुल और गणपत की गिरफ्तारी और फरार दोस्तों की तलाश
पुलिस ने तुरंत हर्शुल और गणपत को हिरासत में ले लिया और उनसे गहन पूछताछ शुरू कर दी। लेकिन अन्य दो आरोपी, जनरल सिंह और कुलदीप अमरालिया फरार हो चुके थे। उनकी तलाश में पुलिस ने कोटा, बूंदी और आसपास के क्षेत्रों में दबिशें दीं। टीमें सक्रिय रूप से इनकी लोकेशन ट्रैक कर रही हैं।
एसपी का बयान: जल्द गिरफ्तारी का भरोसा
एसपी विनोद कुमार मीणा ने बताया कि प्रारंभिक जांच से साफ हो गया है कि पूरा अपहरण हर्शुल ने ही रचा था। पुलिस अब सभी तकनीकी पहलुओं, जैसे मोबाइल रिकॉर्ड्स और संभावित पैसे के लेन-देन की गहराई से जांच कर रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि फरार आरोपियों को भी शीघ्र गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
यह घटना न सिर्फ एक अपराध है बल्कि उससे कहीं ज्यादा एक सामाजिक मुद्दा है। हम यहां पर ऐसी स्थिति में युवाओं को और पेरेंट्स को क्या करना चाहिए, बता सकते हैं लेकिन हम चाहते हैं कि आप स्वयं इसके बारे में चर्चा करें। इस न्यूज़ को शेयर करते हुए कृपया अपने विचार लिखिए। ऐसे युवाओं को और उनके परिवार वालों को क्या करना चाहिए।
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