मध्य प्रदेश शासन, स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत लोक शिक्षण संचालनालय की डिप्टी डायरेक्टर शत्रुंजय सिंह बिसेन ने समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर कहां है कि नियमों का पालन करें और मनमानी न करें। दरअसल कई जिला शिक्षा अधिकारी स्वयं को शिक्षकों का एकमात्र भाग्य विधाता मानते हैं और ऐसा दस्तावेजों में दिखाई भी देता है।
जिला शिक्षा अधिकारी प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे
मामला स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों की शैक्षणिक योग्यता वृद्धि के लिए, विभागीय प्रतियोगी परीक्षा के लिए अथवा पीएचडी के लिए अनुमति का मामला है। इस मामले में मध्य प्रदेश के 50% ज्यादा जिला शिक्षा अधिकारी मामलों को सीधे लोग शिक्षण संचालनालय के पास भेज रहे हैं। नियम के अनुसार किसी भी शिक्षक को इस प्रकार की अनुमति दिए जाने से पहले संस्था प्रमुख अर्थात प्राचार्य की अनुशंसा अनिवार्य होती है लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे।
इसलिए लोक शिक्षण संचालनालय के डिप्टी डायरेक्टर शत्रुंजय सिंह बिसेन ने पत्र जारी करके बताया है कि, किसी भी शिक्षक के लिए अपने अभिमत सहित प्रस्ताव को भोपाल भेजने से पहले यह जरूर सुनिश्चित करें कि उसके लिए शिक्षक के प्राचार्य द्वारा अनुशंसा की गई है या नहीं। यदि अनुशंसा नहीं की गई है तो ऐसे मामलों को स्वीकृति के लिए भोपाल ना भेजा जाए।
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