भोपाल। मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग में, जिन भागीदारी कर्मचारियों के संबंध में विभाग द्वारा जारी आदेश को निरस्त किए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट ने निरस्तीकरण के आदेश के पालन पर रोक लगा दी है। सुनवाई 12/11/2025 को हुई।
मध्य प्रदेश शासकीय महाविद्यालयीन जनभागीदारी कर्मचारी संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी हितेश गुरगेला ने जानकारी देते हुए बताया है कि मध्य प्रदेश शासन, उच्च शिक्षा विभाग, भोपाल द्वारा प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में जनभागीदारी सहित अन्य निधियों से वेतन पाने वाले गैर-शैक्षणिक कार्यों हेतु कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कार्मिक कई वर्षों से निरंतर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। माननीय मुख्यमंत्री एवं तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव की नोटशीट पर उच्च शिक्षा विभाग ने कार्यवाही कर ऐसे कर्मचारियों को स्थाईकर्मी श्रेणी प्रदान करने हेतु दिनांक 5/10/2023 को आदेश प्रसारित कराए गए थे, जिसके पालन में प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों ने जनभागीदारी सहित अन्य निधियों से कार्यरत कार्मिकों को स्थाईकर्मी योजना से लाभान्वित करने के आदेश जारी किए जा चुके हैं।
लेकिन इसी बीच 2 वर्ष पश्चात् दिनांक 24/10/2025 को मध्य प्रदेश शासन, उच्च शिक्षा विभाग, मंत्रालय द्वारा पूर्व में अपने ही द्वारा जारी किए आदेश को निरस्त कर दिया गया है। शासकीय महाविद्यालयों के प्राध्यापक, जो अपना अध्यापन कार्य छोड़कर वर्षों से उच्च शिक्षा विभाग के मंत्रालय और संचालनालय में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी बने बैठे हैं, इन्होंने कर्मचारियों के विरुद्ध उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अनुपम राजन को भ्रमित कर माननीय उच्च न्यायालयों में डब्ल्यूपी (WP) तक दायर की गई थी, जिससे कर्मचारी न्याय पाने हेतु माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर स्थगन (स्टे ऑर्डर) आदेश प्राप्त न कर सकें।
किंतु मध्य प्रदेश शासकीय महाविद्यालयीन जनभागीदारी कर्मचारी संघ के प्रांतीय सचिव त्रिलोक जाटव व अन्य द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका लगाई गई।
माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में दिनांक 12/11/2025 को कर्मचारियों की ओर से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता श्री संजयराम ताम्रकार और अधिवक्ता श्री गौरव माहेश्वरी ने कर्मचारियों का पक्ष मजबूती से रखा। तथा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने कर्मचारियों के पक्ष में रखे गए तर्कों से सहमत होते हुए उच्च शिक्षा विभाग मंत्रालय के पत्र दिनांक 24/10/2025 पर आगामी आदेश तक स्थगन (स्टे ऑर्डर) आदेश पारित किया है।
माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के आदेश दिनांक 12/11/2025 के निर्देशानुसार अब उच्च शिक्षा विभाग मंत्रालय के पत्र दिनांक 24/10/2025 का प्रभाव आगामी आदेश तक प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों की जनभागीदारी सहित अन्य निधियों से कार्यरत कार्मिकों पर नहीं पड़ेगा।
यदि माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के आदेश जारी होने के उपरांत भी यदि शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य पालन नहीं करते हैं तो मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अनुपम राजन के विरुद्ध अवमानना प्रकरण की कार्यवाही कराने हेतु संघ प्रयास करेगा।
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