High Court: बीमार कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच नहीं, लाभ भी नहीं रोक सकते

नई दिल्ली, 15 नवंबर 2025
: भ्रष्टाचार के आरोप में कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच के मामले में उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक लैंडमार्क जजमेंट दिया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि, यदि कर्मचारी बहुत बीमार है तो उसके खिलाफ विभागीय जांच नहीं की जा सकती है और यदि उसने VRS के लिए आवेदन दिया है तो, आरोपी की परवाह किए बिना आवेदन पर निर्णय किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ नंदन की खंडपीठ ने यह फैसला दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, अलीगढ़ की विशेष अपील पर दिया है।

मनोहर सिंह बनाम दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, अलीगढ़

उत्तर प्रदेश राज्य के जिला अलीगढ़ निवासी याचिका कार्यकर्ता मनोहर सिंह विद्युत विभाग में तकनीशियन ग्रेड-द्वितीय के पद पर कार्यरत थे। भ्रष्टाचार के एक आरोप में उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश हुए और इसी दौरान उनकी तबीयत खराब हो गई। मनोहर सिंह जांच के लिए उपस्थित नहीं हो सके। विभाग के नियम के अनुसार उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया लेकिन बीमार होने के कारण मनोहर सिंह अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं कर पाए। ऐसी स्थिति में नियम के अनुसार मनोहर सिंह को बर्खास्त कर दिया गया। 

बीमार कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच नहीं कर सकते: हाईकोर्ट 

कर्मचारी मनोहर सिंह की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की गई। हाईकोर्ट ने कर्मचारियों को बर्खास्त किए जाने का आदेश निरस्त करते हुए आदेश दिया कि जब कर्मचारी मेडिकल रूप से फिट हो जाए और मेडिकल बोर्ड द्वारा उसकी फिटनेस को प्रमाणित कर दिया जाए, इसके बाद जांच की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए। 

भ्रष्टाचार के आरोपी कर्मचारियों को VRS दे सकते हैं?

हाई कोर्ट के आदेश पर मेडिकल बोर्ड द्वारा कर्मचारी के स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया और रिपोर्ट में बताया कि कर्मचारी को कई ब्रेन स्ट्रोक के कारण गंभीर शारीरिक और मानसिक अक्षमता है। वह न संवाद कर सकते हैं और न ही कार्यवाही को समझ सकते हैं। इस पर कर्मचारी की पत्नी ने जुलाई 2024 में मेडिकल आधार पर वीआरएस के लिए आवेदन किया, लेकिन सिविल सेवा नियमों के अनुसार विभागीय जांच की प्रक्रिया के बीच में कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का लाभ नहीं दिया जा सकता, इसलिए विभाग ने VRS की आवेदन पर कोई विचार नहीं किया।

जब जांच संभव ही नहीं है तो VRS दे सकते हैं: हाईकोर्ट

कर्मचारी की ओर से हाईकोर्ट में फिर से याचिका दाखिल की गई। इस पर एकल पीठ ने विभाग को आदेश दिया कि, कर्मचारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की परवाह किए बिना, उसके अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आवेदन पर निर्णय करें। इस बार विभाग ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दायर कर दी। हाई कोर्ट ने विभाग की अपील को स्वीकार करते हुए, मेडिकल बोर्ड नहीं बल्कि एम्स में जांच करवाने के आदेश दिए। एम्स के डॉक्टरों ने कर्मचारियों के स्वास्थ्य का परीक्षण करने के बाद मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को सही पाया। खंडपीठ ने कहा कि जब जांच संभव ही नहीं है तो विभागीय कार्रवाई का औचित्य समाप्त हो जाता है। अतः विभाग को चार सप्ताह के भीतर कर्मचारी का वीआरएस आवेदन निपटाना होगा। 
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