कट्ठीवाड़ा-अलीराजपुर, 15 नवंबर 2025: आज जब पूरे प्रदेश और देश में जनजातीय गौरव दिवस का उत्साह चरम पर था, और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुद अलीराजपुर जिला मुख्यालय पहुंचने वाले थे, ठीक उसी पल कट्ठीवाड़ा क्षेत्र के काबरीसेल कन्या आश्रम छात्रावास से एक दर्दनाक खबर ने सबको स्तब्ध कर दिया। कक्षा दूसरी की मासूम छात्रा कृतिका बघेल की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। यह घटना न केवल परिवार को शोक में डुबो रही है, बल्कि जिले के बालिका छात्रावासों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। मृतक बालिका चचरिया लक्ष्मणी की निवासी बताई जा रही है, जो इस आश्रम में पढ़ाई कर रही थी।
इलाज में देरी के कारण मौत हो गई?
शुक्रवार दोपहर करीब दो बजे यह हृदयविदारक घटना घटी। सूत्रों के अनुसार, बच्ची की तबीयत अचानक बिगड़ गई, और कुछ ही पलों में उसकी हालत गंभीर हो गई। छात्रावास प्रबंधन ने प्राथमिक उपचार की कोशिश की, लेकिन तत्काल चिकित्सा उपलब्धता को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पा रही। अंततः बालिका को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। स्थानीय निवासियों का कहना है कि ऐसी आपात स्थितियों में इलाज में देरी से ही कई बार अनमोल जिंदगियां खतरे में पड़ जाती हैं।
इतना ही नहीं, घटना के ठीक समय अलीराजपुर जिला मुख्यालय पर मुख्यमंत्री के आगमन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं। अधिकांश जिला अधिकारी कार्यक्रम स्थल पर व्यस्त थे, जिसके चलते आंचलिक क्षेत्रों में प्रशासनिक निगरानी की कमी साफ नजर आ रही थी। इस अव्यवस्था ने नतीजा दिया कि एक नन्ही जिंदगी को बचाने का मौका हाथ से निकल गया। कट्ठीवाड़ा पुलिस को खबर मिलते ही टीम मौके पर पहुंची और छात्रावास परिसर का निरीक्षण शुरू कर दिया। प्रारंभिक जांच में स्टाफ, वार्डन और आश्रम प्रबंधन से पूछताछ की जा रही है।
पुलिस अधिकारी बताते हैं कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का वास्तविक कारण स्पष्ट हो सकेगा। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि मामले की विस्तृत और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाएगी, ताकि किसी भी लापरवाही का पता लगाया जा सके।
यह पहली बार नहीं है जब जिले के छात्रावासों से ऐसी दुखद खबरें आई हों। स्थानीय लोगों और अभिभावकों का आरोप है कि बच्चों की तबीयत खराब होने या अचानक मौत की घटनाएं समय-समय पर सामने आती रहती हैं। कई बार जांच समितियां गठित की गईं, लेकिन उनकी रिपोर्टें कभी सार्वजनिक नहीं हुईं। इससे विभाग की जवाबदेही और पारदर्शिता पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।
एक अभिभावक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमारे बच्चे इन आश्रमों में सुरक्षित शिक्षा के लिए भेजे जाते हैं, लेकिन बेसिक हेल्थकेयर की कमी जानलेवा साबित हो रही है। अब समय आ गया है कि जिम्मेदार अधिकारी गंभीरता दिखाएं।"
घटना के बाद छात्रावास के बाहर अभिभावकों और ग्रामीणों में गुस्सा भड़क उठा। कई लोग मांग कर रहे हैं कि बच्चों की सुरक्षा पर तत्काल सुधार हो, और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। एक और मासूम की असमय विदाई ने न केवल समुदाय को झकझोर दिया है, बल्कि पूरे सिस्टम को आईना दिखा दिया है। उम्मीद है कि यह दर्दनाक हादसा सबक बनेगा, और भविष्य में ऐसी त्रासदी दोहराने न पाए। प्रशासन से अपेक्षा है कि जल्द ही पारदर्शी अपडेट साझा करे, ताकि भरोसा बहाल हो सके।
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