रतीराम श्रीवास, टीकमगढ़। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की मिसाल बताई जाने वाली लाड़ली बहना योजना अब विवादों में घिरती दिख रही है। प्रदेशभर से शिकायतें मिल रही हैं कि अनेक पात्र महिलाएं योजना के लाभ से वंचित रह गई हैं। वजह, पंजीयन प्रक्रिया का अचानक रुक जाना और दस्तावेज़ों की कमी।
वर्ष 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यह योजना लागू की थी। शुरुआती दो चरणों में करोड़ों महिलाओं ने पंजीयन कराया और आज प्रदेश में करीब 1.27 करोड़ महिलाएं इस योजना से लाभ उठा रही हैं। लेकिन टीकमगढ़ सहित कई जिलों में गरीब, मजदूर और पलायन करने वाली महिलाएं अब भी इस योजना से बाहर हैं।
स्थानीय महिलाओं का कहना है कि जब वे मजदूरी के लिए दूसरे शहरों में गई थीं, तब आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई और बंद भी हो गई। “हमारे कागज अधूरे थे, कोई मदद करने वाला नहीं था, अब कहते हैं समय निकल गया,” एक ग्रामीण महिला ने बताया।
वहीं, विपक्ष की ओर से भी इस मुद्दे पर कोई ठोस पहल नहीं हुई, और क्षेत्रीय विधायक भी अब तक चुप्पी साधे हुए हैं। इससे वंचित महिलाओं में गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि सरकार वास्तव में “बहनों का सशक्तिकरण” चाहती है, तो उसे जल्द से जल्द पंजीयन प्रक्रिया फिर से शुरू करनी चाहिए, ताकि कोई भी पात्र महिला लाभ से वंचित न रहे।
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