जगदंबा स्तुति - Prayer to Jagadamba Mata


अपनी आदर्श विवेक दिशा, 
विद्या के विनय पुजारी हैं,
माँ सरस्वती के अंक पले, 
जननी जगदंबा प्यारी है।

हूॅ आज भले ही राहों पर,
पर कल की सुबह हमारी है,
दम्भी पर टूट पड़ी अंबे , 
माँ खड्ग उठा ललकारी है।

हम सेवक हैं जगदंबा के,
इंसाफ हमारा नारा है, 
आबाद रहेंगे मिटकर भी, 
यह भाव हृदय में धारा है।। 

जो बुझा सके सच का दीपक, 
ऐसा कोई तूफान नहीं,
जगदंब तुम्हारी महिमा से,
जग में कोई अनजान नहीं।।

संकट में फंसा हुआ सेवक, 
श्रद्धा से आज पुकारा है, 
हाथों मे दिए जला आया, 
माॅ तू ही एक सहारा है।।

अपनी आदर्श विवेक दिशा, 
विद्या के विनय पुजारी हैं,
माँ सरस्वती के अंक पले, 
जननी जगदंबा प्यारी है।।

~डॉ विनय दुबे, रीवा
संपर्क: 982735286
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