मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग में जातिवाद का संघर्ष अब राजनीति से बाहर निकाल कर सामाजिक और सरकारी कर्मचारियों के बीच भी दिखाई देने लगा है। एक महिला नर्स के कहने पर पुलिस ने 2 सरकारी डॉक्टर के खिलाफ FIR दर्ज कर ली। जबकि डॉक्टर का कहना है कि, उसका डिपार्टमेंट चेंज कर देने के कारण दवा बनाने की दृष्टि से उसने शिकायत की थी। इसकी शिकायत में स्पष्ट लिखा है कि दूसरा डॉक्टर घटनास्थल पर मौजूद नहीं था, पुलिस ने फिर भी उसको आरोपी बना लिया।
महिला नर्स के अनुसार घटना का विवरण
मामला कंपू थाने में दर्ज किया गया है। घटना की तारीख 28 अक्टूबर दिन मंगलवार और समय दोपहर 12:00 बजे बताया गया है। महिला नर्स ने अपनी शिकायत में बताया कि, उसकी उम्र 27 वर्ष है और वह ग्वालियर के घाटीगांव सिमरिया टांका इलाके में एक गांव की रहने वाली है। घटना के वक्त नेफ्रोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. शिवम यादव के चेंबर में अपने आवेदन पर मार्क कराकर रिसीविंग लेने गई थी। इसी दौरान डॉ. यादव ने कहा कि जब तक तुम मेरी और डॉ. गिरजा शंकर गुप्ता की बात नहीं मानोगी, तब तक ऐसे ही परेशान होती रहोगी। तुम्हें नौकरी करनी है तो कम्प्रोमाइज करना पड़ेगा। नहीं तो हम तुम्हें ऐसी जगह भेज देंगे, जहां तुम्हारे लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा। डॉ. शिवम यादव ने कहा कि तुम डॉ. गिरजा शंकर गुप्ता को खुश रखो। वो तुम्हारे मेडिकल सुपरिटेंडेंट हैं। वही करो, जो वो कहते हैं।
महिला नर्स ने बताया कि, यह कहते हुए डॉ. यादव ने उसका हाथ पकड़ लिया। उसने किसी तरह अपना हाथ छुड़ाया और बाहर की ओर भागी। इस पर डॉक्टर ने जातिगत अपशब्द कहे। महिला नर्स ने अपनी शिकायत में बताई कि उसने पहले अपने माता-पिता को फोन पर पूरी बात बताई, फिर शाम को कंपू थाना जाकर शिकायत दर्ज कराई।
नर्स का डिपार्टमेंट चेंज किया इसलिए दबाव बना रही है
आरोपी एचओडी डॉ. शिवम यादव ने कहा- जिस महिला ने आरोप लगाया है, दो दिन पहले उसका डिपार्टमेंट चेंज किया गया है। इसको लेकर वह नाराज है इसलिए बे-बुनियाद आरोप लगा रही है।
मैं तो घटनास्थल पर था ही नहीं
डॉ. गिरजा शंकर गुप्ता ने कहा- मैं तो उस समय स्पॉट पर भी नहीं था। मेरा नाम कैसे आया, मैं खुद नहीं समझ पा रहा हूं। मुझे पूरे मामले की जानकारी ही नहीं है।
हम इन्वेस्टिगेशन कर रहे हैं
टीआई अमर सिंह सिकरवार ने बताया कि एक महिला कर्मचारी ने दो डॉक्टरों के खिलाफ आरोप लगाए हैं। मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
कुछ सवाल जिनके जवाब जरुरी है
- डॉ. गिरजा शंकर गुप्ता घटनास्थल पर नहीं थे। उन्होंने पूर्व में कभी कंप्रोमाइज करने के लिए नहीं कहा। घटना के समय उन्होंने फोन पर बात भी नहीं की। फिर पुलिस ने डॉ. गिरजा शंकर गुप्ता को आरोपी क्यों बनाया?
- कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों के साथ किसी भी प्रकार के अन्याय की स्थिति में उन्हें संरक्षण देने के लिए समिति होती है। महिला नर्स ने डिपार्टमेंट में कोई शिकायत क्यों नहीं की।
- क्या महिला नर्स ने शिकायत के साथ अभद्रता और जातिगत अपमान के प्रमाण भी प्रस्तुत किए हैं। यदि नहीं तो FIR दर्ज करने से पहले घटना के घटित होने की प्राथमिक जांच क्यों नहीं की गई।
यदि इसी प्रकार सिर्फ एक शिकायत के आधार पर कर्मचारी के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट और सुपरिंटेंडेंट के खिलाफ FIR दर्ज की जाने लगी तो सरकारी दफ्तरों में आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों से काम लेना मुश्किल हो जाएगा। कम से कम डॉक्टर और अन्य राजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ इस प्रकार की शिकायत की स्थिति में घटना के होने और संबंधित अधिकारी के घटनास्थल पर उपस्थित होने की पुष्टि तो की जानी चाहिए।
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