भोपाल/उज्जैन। मध्यप्रदेश के अन्नदाताओं ने भावांतर योजना को लेकर ऐसा धमाल मचाया कि राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई। उज्जैन और इंदौर के देपालपुर में 12 अक्टूबर को निकली भव्य ट्रैक्टर रैलियों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समर्थन में एक मील का पत्थर साबित हो गया। सैकड़ों ट्रैक्टरों पर सवार होकर किसानों ने विरोधियों को करारा जवाब दिया। यह न सिर्फ किसान कल्याण की जीत है, बल्कि एक मास्टरस्ट्रोक पॉलिटिकल सक्सेस भी, जो त्योहारों के मौसम में सीएम की लोकप्रियता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा रही है।
उत्साह का सैलाब: देपालपुर से उज्जैन तक ट्रैक्टरों का कारवां
कल्पना कीजिए, रात के अंधेरे में तैयार हो रहे ट्रैक्टर, उन पर चिपके पोस्टर "भावांतर से बदलेगा किसान का भाग्य!" और "सीएम मोहन: किसानों का मसीहा!" 11 अक्टूबर की शाम से ही हलचल शुरू हो गई थी। देपालपुर में सैकड़ों किसान एकत्रित हुए और सुबह होते ही ट्रैक्टर रैली ने सड़कों पर तहलका मचा दिया। वहीं, उज्जैन की रैली कृषि उपज मंडी से निकलकर आगर रोड, चामुंडा माता चौराहा, फ्रीगंज ओवरब्रिज और तीन बत्ती होते हुए दशहरा मैदान तक पहुंची। हर तरफ बैनर लहरा रहे थे, जो सीएम डॉ. यादव के प्रति गहरा आभार व्यक्त कर रहे थे। किसानों की जुबान पर एक ही बात: "संकट के समय में मोहन ने थामा हाथ"।
We stand with Mohan Yadav - full support!
एक बुजुर्ग किसान ने भावुक होकर कहा, "डॉक्टर साहब ने न सिर्फ पैसे दिए, बल्कि सम्मान भी लौटाया। यह योजना हमारे चेहरों पर मुस्कान बिखेर रही है।" रैलियों में शामिल युवा किसानों ने तो सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर इसे वायरल बना दिया। ट्रैक्टरों की लंबी कतारें, धूल उड़ाती धुनें, और नारे जो दिल को छू जाते हैं। यह दृश्य देखकर लगता है जैसे किसान कह रहे हों: "We stand with Mohan Yadav—full support!"
सीएम का सीधा संवाद: किसानों से दिल की बात की
दूसरी तरफ, श्योपुर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने देपालपुर के किसानों से दिल की बात की। "किसानों की समृद्धि ही मध्यप्रदेश की प्रगति का आधार है," उन्होंने दोहराया। यह संवाद न सिर्फ प्रोत्साहन का पुल बना, बल्कि योजना की सफलता का प्रमाण भी।
किसान कल्याण की मजबूत नींव: भावांतर का जादू
गौरतलब है कि डॉ. मोहन यादव सरकार ने सोयाबीन उत्पादकों के लिए यह योजना किसान संघों के सुझावों पर अमल में लाई है। पहले की तरह मंडियों में बिक्री होगी, लेकिन अगर MSP से कम कीमत मिले तो सरकार घाटे की भरपाई करेगी। यानी, फसल का मूल्य और एमएसपी के अंतर की राशि सीधे किसान के खाते में। यह फैसला न सिर्फ आर्थिक राहत है, बल्कि विश्वास का इंजेक्शन भी, जो विरोधियों के तीरों को विफल कर देगा।
कब शुरू होगी राहत की बौछार?
योजना पहले से लागू है, लेकिन असली कमाल 24 अक्टूबर से दिखेगा। ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीकरण 3 अक्टूबर से चला आ रहा है और 17 अक्टूबर तक चलेगा। अगर सोयाबीन एमएसपी से नीचे बिके, तो सरकार हर पैसे की भरपाई करेगी। यह स्टेप न सिर्फ किसानों को मजबूत बनाएगा, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी बूस्ट देगा।
कुल मिलाकर, ये ट्रैक्टर रैलियां एक संदेश हैं: किसान जाग गए हैं, कंफ्यूज नहीं है बल्कि सीएम डॉ. मोहन यादव के साथ खड़े हैं। मध्यप्रदेश की राजनीति में यह मोमेंटम लंबे समय तक गूंजेगा। किसानों का उत्साह, सरकार का संकल्प, और एक नई शुरुआत की कहानी!