श्रीमंत महाराज साहब, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज दून स्कूल से लेकर स्टैंड फोर्ड यूनिवर्सिटी तक सब पर सवाल खड़े कर दिए। महाराज साहब ने दून स्कूल से पढ़ाई शुरू की है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया है और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है। डिग्रियों के आधार पर कहा जा सकता है कि हमारे महाराज साहब को बिजनेस, महंगाई और लागत का कैलकुलेशन जरूर आता होगा, लेकिन क्या सचमुच आता है। आज चंदेरी का वीडियो देखने के बाद दून स्कूल से लेकर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी तक सब की पढ़ाई पर शक होने लगा है। यदि श्री सिंधिया के स्थान पर श्री शिवराज सिंह चौहान होते तो कोई आश्चर्य नहीं था क्योंकि उनकी शैक्षणिक योग्यता महाराज की शैक्षणिक योग्यता के समान नहीं है। हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय राजनीति में आर्ट ग्रेजुएट और वकीलों के अलावा जो कुछ दुर्लभ नेता बचे हैं, वही देश को नई दिशा दे पाएंगे, लेकिन महाराज साहब ने दुखी कर दिया।
श्रीमंत महाराज साहब का चंदेरी साड़ी के भविष्य का कैलकुलेशन
श्रीमंत महाराज साहब, ज्योतिरादित्य सिंधिया आज चंदेरी गए। यहां उन्होंने कहा कि "हमारी चंदेरी का हर बुनकर सोने के समान है,और आपकी समृद्धि ही मेरा धर्म है...। इसके अलावा जो कुछ भी कहा वह वीडियो में मौजूद है। पहले देख लीजिएगा उसके बाद ही बात समझ में आएगी।
अपने स्टेटमेंट में उन्होंने कहा कि मेरा बुनकर सोने चांदी जैसा है। या नहीं उसका मूल्य सोने की तरह बढ़ेगा। इसका मतलब हुआ कि उसका प्रॉफिट सोने की तरह बढ़ेगा। कैलकुलेट करना जरूरी है कि महाराज साहब के हिसाब से चंदेरी के बुनकर 10 साल बाद कितने मालामाल हो जाएंगे। अपन भी थोड़ा सा अर्थशास्त्र सीख लेंगे और अपन को यह भी पता चल जाएगा कि चंदेरी की साड़ी का भविष्य क्या है।
सबसे पहले बेसिक फार्मूला
अपन इसे लॉजिक, कैलकुलेशन, उदाहरण और चुनौतियों के साथ स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं। हम पहले बेसिक कॉन्सेप्ट समझेंगे, फिर नंबर्स पर जाएंगे। सभी कैलकुलेशन सरल कंपाउंड इंटरेस्ट फॉर्मूला पर आधारित होंगे:
भविष्य मूल्य (FV) = वर्तमान मूल्य (PV) × (1 + r)^n
जहाँ r = वार्षिक वृद्धि दर, n = वर्षों की संख्या।
कैलकुलेशन: चंदेरी साड़ी की कीमत बढ़ेगी तो बुनकर को कितना फायदा होगा
आज की कीमत (PV): ₹5000
10 साल बाद की कीमत (FV): ₹15000
वर्ष (n): 10
वार्षिक वृद्धि दर (r) निकालने का फॉर्मूला: r = (FV / PV)^(1/n) - 1
कैलकुलेशन: (15000 / 5000) = 3 (3 गुना वृद्धि)
r = 3^(1/10) - 1 ≈ 11.61% प्रति वर्ष औसत।
(यह कैलकुलेशन पायथन कोड से वेरिफाई किया गया: import math; r = (15000/5000)**(1/10) - 1; print(r*100) → 11.61%)।
इस हिसाब से लगता है कि चंदेरी साड़ी की कीमत 3 गुना बढ़ जाएगी। बुनकर मालामाल हो जाएगा, लेकिन महाराज थोड़ा ठहरिए, क्योंकि यदि महंगाई बढ़ेगी तो 10 साल बाद चंदेरी साड़ी बनाने की लागत भी बढ़ जाएगी। इसका मतलब हुआ की कीमत के तीन गुना हो जाने से, मुनाफा तीन गुना नहीं होगा। इसके लिए थोड़ा और कैलकुलेशन करना पड़ेगा।
अब, भारत की औसत महंगाई दर से तुलना:
पिछले 10 वर्षों (2015-2025) में भारत की औसत CPI महंगाई दर लगभग 5.77% प्रति वर्ष रही है। 2015: 5.4%
2016: 5.3%
2021: 5.13%
2022: 6.70%
(स्रोत: ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स और रेटइन्फ्लेशन डेटा)।
तो, साड़ी की कीमत 11.61% बढ़ रही है, जबकि सामान्य महंगाई सिर्फ 5-7% की दर से बढ़ रही है। इसका मतलब हुआ कि बुनकर को कम से कम 4% का अतिरिक्त फायदा होगा। लेकिन क्या सचमुच बुनकर को चार प्रतिशत अतिरिक्त फायदा होगा? थोड़ा गहराई में चलते हैं...
महंगाई दर के आधार पर चंदेरी साड़ी के विक्रय मूल्य का निर्धारण
अपने सिंपल फार्मूले के हिसाब से यदि अपन औसत 5.77% महंगाई दर की वृद्धि पर कैलकुलेट करते हैं तो जो चंदेरी साड़ी आज ₹5000 में बिक रही है, उसे 10 साल बाद कम से कम ₹9100 में बिकना चाहिए। इससे कम मूल्य मिला तो बुनकर घाटे में चला जाएगा। महाराज साहब ने कहा है कि 15000 मिलेंगे, अपना कैलकुलेशन कहता है कि 9100 मिलना चाहिए। इस हिसाब से बुनकर को एक साड़ी के ऊपर 15000-9100=5900 रुपए का एक्स्ट्रा फायदा हो रहा है। यह तो बड़ी मजेदार बात है। यदि बुनकर कुछ सचमुच इतना फायदा हो जाए तो वह आनंद में आ जाएगा। लेकिन क्या सचमुच ऐसा होगा, चलिए थोड़ा और गहराई में उतरते हैं:-
क्या चंदेरी साड़ी की लागत में वृद्धि, महंगाई वृद्धि के बराबर होगी?
यदि महंगाई दर वृद्धि के आधार पर आगे बढ़ते हैं तो:-
लागत मल्टीप्लायर: (1 + 0.0577)^10 ≈ 1.75 (कैलकुलेशन: future_factor = (1.0577)**10 → 1.75)।
आज की तारीख में जिस चंदेरी साड़ी की लागत ₹4000 है, 10 साल बाद उसकी लागत ₹7000 होगी। लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या चंदेरी साड़ी की लागत में वृद्धि, महंगाई दर में वृद्धि के बराबर होगी?
क्योंकि अपने पास "चंदेरी साड़ी" एक सिंगल प्रोडक्ट है। जबकि महंगाई की गणना भोजन, कपड़े, ईंधन आदि की औसत कीमतों पर आधारित है। इसको उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) से मापा जाता है। यानी चंदेरी साड़ी की लागत, महंगाई की वृद्धि दर के बराबर नहीं बढ़ेगी बल्कि आने वाले 10 सालों में या तो यह महंगा इधर से अधिक बढ़ सकती है या फिर कम भी हो सकती है।
इसके लिए यह जानना जरूरी है कि चंदेरी साड़ी को बनाने में क्या सामग्री लगती है:-
फैब्रिक, सिल्क/कॉटन: 50-60% (लगभग ₹2500-3000 प्रति साड़ी)। चंदेरी फैब्रिक की कीमत आज ₹130/मीटर है, और साड़ी में 5-6 मीटर लगते हैं, तो बेसिक कॉस्ट ₹700-800, लेकिन सिल्क मिक्स होने से ₹2000 से अधिक हो जाते हैं।
कितनी वृद्धि होगी: कॉटन कमोडिटी के अनुसार कॉटन और सिल्क अगले 10 साल में काम से कम 10% का रिटर्न देंगे। यानी कि इनकी कीमत में काम से कम 10% की वृद्धि होगी। चंदेरी साड़ी के मूल कच्चे माल की कीमत में 6% नहीं बल्कि 10% की वृद्धि होगी।
बिजली, परिवहन, पैकेजिंग: 10-20% (₹500-1000)
यह सेवाएं और प्रोडक्ट भी महंगाई दर के कैलकुलेशन में नहीं आते। इनकी वृद्धि भी महंगाई दर की सामान्य वृद्धि से अधिक होगी। सबसे ज्यादा मूल्य वृद्धि पैकेजिंग में होगी, क्योंकि मार्केटिंग ने पैकेजिंग को बड़ी वैल्यू दे दी है। अब लोग प्रोडक्ट की क्वालिटी का अनुमान पैकेजिंग से लगते हैं।
मजदूरी (सहायक): 20-30% (₹1000-1500), क्योंकि यह हैंडलूम है।
एक साड़ी बनाने में 5 लोगों की जरूरत पड़ती है:-
- रंगकर्मी (धागे रंगने के लिए)
- वारपर (ताना सेट करने के लिए)
- डिज़ाइन सेटअप कारीगर (जैक्वार्ड या पैटर्न लगाने के लिए)
- मुख्य बुनकर (वास्तविक बुनाई के लिए)
- फिनिशिंग कारीगर (धोने और तैयार करने के लिए)
10 साल बाद उनकी मजदूरी बढ़ जाएगी क्योंकि जो मजदूर आज काम कर रहे हैं उनमें से कुछ कम हो जाएंगे। नए लोग मजदूरी करने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए मजदूरी बढ़ानी पड़ेगी।
10% लागत बढ़ने के बाद भी तो फायदा ही होगा?
तो इस प्रकार अपन ने देखा कि, चंदेरी साड़ी की लागत, महंगाई दर की वृद्धि के अनुसार नहीं बढ़ेगी बल्कि औसत 10% वार्षिक की दर से बढ़ेगी। जबकि श्रीमंत महाराज साहब के अनुसार कीमत 11.61% वार्षिक औसत की दर से बढ़ रही है। चलो यह भी ठीक है, कम से कम घाटा तो नहीं होगा। साल का डेढ़ प्रतिशत एक्स्ट्रा फायदा हो जाएगा, लेकिन क्या यहां पर अपन फुल स्टॉप लगा सकते हैं। आगे बढ़ते हैं- देखते हैं कोई गुंजाइश है क्या:-
मूल मुद्दे की बात: एक बुनकर साल में कितना पैसा कमाएगा
1. एक चंदेरी साड़ी बनाने में 15 दिन का समय लगता है।
2. एक बुनकर 1 साल में सिर्फ 24 साड़ी बन सकता है। (वह भी तब जब वह बीमार ना पड़े और छुट्टी ना ले)।
आज की तारीख में अपन ने जो कैलकुलेशन किया था, ₹5000 मूल्य में बिकने वाली चंदेरी साड़ी की लागत ₹4000 थी।
3. एक बुनकर एक साड़ी पर ₹1000 कमाता है। साल भर में 24 साड़ी पर सिर्फ ₹24000 प्रॉफिट मिलता है।
4. श्रीमंत महाराज साहब के हिसाब से 10 साल बाद वह बुनकर को एक साड़ी पर 1200 रुपए का प्रॉफिट मिलेगा। इसका मतलब हुआ की 24 साड़ी के ऊपर उसको 28800 का प्रॉफिट मिलेगा।
आप खुद बताइए महाराज साहब, 28800 में साल भर का घर चल सकेगा?
आपके मूल्यवान समय के लिए धन्यवाद:
उपदेश अवस्थी।