दीपांञ्जलि

मुबारक हो सबको ये पावन दीवाली, 
ये दीपों की जगमग, ये पूजा की थाली,
सभी के घरों में दिए जल उठे हों, 
कोई एक देहरी न रह जाए खाली ।1।
 
अँधेरे का नाम-ओ-निशाँ हम मिटा दें, 
उजाले का सूरज गगन में उगा दें, 
जो खाकर के ठोकर गिरे राह में हैं, 
उन्हें हिम्मतों का दिया हम दिखा दें ।2।
 
जहाँ आँसूओं से भरा कोई मन हो, 
जहाँ खीझ में जल रहा कोई तन हो,
बुझा कर के विद्वेष की आग मन से, 
वहाँ पावनी प्रेम गंगा बहा दें।3। 

मिटे दुःख, कटे मोह-माया  का घेरा,
मिले नेह,करुणा का स्वर्णिम सबेरा ,
हर एक द्वार पर प्रेम का दीप रखकर,
चलो ज्योति से ज्योति पावन जगा दें ।4। 
डॉ विनय दुबे, रीवा
संपर्कः 9827352863
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