पृथ्वी और खास तौर पर भारत में चंद्रमा हमेशा एक परिवार का सदस्य और बच्चों के लिए कभी खिलौना तो कभी मामा रहा है लेकिन करोड़ भारतीय बच्चों के चंदा मामा पृथ्वी से रूठ गए हैं और दूर जा रहे हैं। यदि यही स्थिति बनी रही तो एक समय ऐसा आएगा जब पृथ्वी पर दिन बहुत छोटे और रातें लंबी हो जाएंगी। सिर्फ इतना नहीं होगा बल्कि पृथ्वी पर ठंड बर्फीली और गर्मी के मौसम में जंगलों में आग लग जाएगी। पृथ्वी पर मनुष्य का जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि हवा चलना बंद हो जाएगी और ऑक्सीजन लेवल कम हो जाएगा।
55 सालों में चंद्रमा, पृथ्वी से 209 सेंटीमीटर दूर चला गया
अंतरिक्ष का अध्ययन करने वाले खगोलविदों ने पिछले कुछ सालों से Lunar Laser Ranging Experiment के माध्यम से पता लगाना शुरू किया है। 60 और 70 के दशक में अपोलो मिशनों ने चंद्रमा की सतह पर परावर्तक (Reflector) लगाए थे। इन रिफ्लेक्टरों पर लेजर लाइट मारी जाती है और उसे लाइट के परावर्तित होकर वापस लौटने की अवधि के आधार पर पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी की सटीक गणना की जाती है। पिछले 55 सालों में चंद्रमा, पृथ्वी से 209 सेंटीमीटर दूर चला गया है। इसका मतलब हुआ कि चंद्रमा पृथ्वी से हर साल औसत 3.8 सेंटीमीटर दूर जा रहा है।
क्या चंद्रमा प्रारंभ से ही पृथ्वी से लगातार दूर जा रहा है?
यदि हम यह मानकर चलें कि चंद्रमा अपने प्रारंभ से ही पृथ्वी से लगातार दूर हो रहा है और यह औसत 3.8 सेंटीमीटर ही है तो रिवर्स कैलकुलेशन करने पर सिर्फ डेढ़ अरब साल पहले चंद्रमा को पृथ्वी के अंदर होना चाहिए था। जबकि हम सब जानते हैं कि 4.5 अरब साल पहले चंद्रमा, पृथ्वी से अलग हुआ और पृथ्वी पर जीवन प्रारंभ हुआ। इसका अर्थ हुआ कि चंद्रमा के पृथ्वी से दूर जाने की प्रक्रिया कुछ सालों पहले शुरू हुई है। हमारे पास सिर्फ 55 साल का डाटा है। इतनी कम जानकारी में हम यह भी नहीं बता सकते हैं कि, पहले साल चंद्रमा पृथ्वी से कितने सेंटीमीटर दूर हुआ था और 2024 में कितना दूर हुआ।
पृथ्वी पर चंद्रमा की दूरी का असर कब से दिखाई देने लगेगा?
यदि कैलकुलेटर पर हर साल 3.8 सेंटीमीटर को आधार मानकर कैलकुलेट करेंगे तो पृथ्वी पर चंद्रमा की दूरी का असर पड़ने में करोड़ों साल लग जाएंगे लेकिन हम विश्वास पूर्वक नहीं कह सकते की 2030 में चंद्रमा पृथ्वी से सिर्फ 3.8 सेंटीमीटर दूर जाएगा या 5.8 सेंटीमीटर। यदि चंद्रमा के दूर जाने की स्पीड तेज हो गई तो वह सब कुछ बहुत पहले शुरू हो जाएगा, जिसे भारतीय धर्म ग्रंथो में कलयुग की समाप्ति कहा गया है।
चंद्रमा यदि पृथ्वी से दूर हो गया तो पृथ्वी पर क्या होगा और क्यों होगा?
ज्वार भाटा: चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण ही समुद्रों में ज्वार-भाटा का मुख्य कारण है। उसके दूर जाने पर ज्वार-भाटा बहुत कमजोर हो जाएंगे। इससे समुद्री जीवन प्रभावित होगा क्योंकि कई प्रजातियाँ ज्वार-भाटे के चक्र पर निर्भर हैं।
ऑक्सीजन: पृथ्वी पर 50% ऑक्सीजन समुद्र से आती है। समुद्र में ऑक्सीजन का उत्पादन फाइटोप्लांकटन (phytoplankton) से होता है और फाइटोप्लांकटन (phytoplankton) के अस्तित्व को बचाने के लिए ज्वार भाटा जरूरी है। ज्वार भाटा कम हो जाएगा तो फिर ऑक्सीजन लेवल भी कम हो जाएगा।
दिन और रात की लंबाई: चंद्रमा, पृथ्वी के रोशन को प्रभावित करता है। यदि चंद्रमा दूर चला गया तो दिन बहुत छोटे और रात बहुत लंबी हो जाएगी।
जानलेवा मौसम: चंद्रमा के कारण पृथ्वी की दूरी स्थिर होती है। चंद्रमा के बिना पृथ्वी का झुकाव 0° से 85° तक बदल सकता है। यदि ऐसा हो गया तो ठंड बहुत ज्यादा बर्फीली और ग्रीष्म ऋतु में इतनी ज्यादा गर्मी पड़ेगी कि जंगलों में आग लग जाएगी। इसके कारण ऑक्सीजन और कम हो जाएगी एवं इंसानों का जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा।
भारत के आम आदमी कैसे समझेंगे कलयुग समाप्त होने वाला है?
जब पृथ्वी पर पूर्ण सूर्यग्रहण बंद हो जाएंगे, तब यह समझ लेना चाहिए कि कलयुग के समाप्त होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। क्योंकि ऐसा तब होगा जब चंद्रमा, पृथ्वी से असामान्य दूरी पर पहुंच चुका होगा। जैसे-जैसे चंद्रमा दूर होता चला जाएगा, ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई देने लगेंगे। यह रिपोर्ट NASA से प्राप्त डाटा पर आधारित, एनालिस्ट: उपदेश अवस्थी।