शिक्षक चयन परीक्षा 2023 के अंतर्गत चयनित किए गए 11 शिक्षकों के खिलाफ छतरपुर में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी प्राप्त करने का मामला दर्ज किया गया है। यह सभी शिक्षक मूल रूप से चंबल संभाग के रहने वाले हैं। उल्लेखनीय है कि ग्वालियर में बने फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर पूरे मध्य प्रदेश में कई फर्जी शिक्षक नौकरी कर रहे हैं। अब तक 200 से अधिक पकड़े जा चुके हैं।
सभी शिक्षक भिंड-मुरैना के रहने वाले हैं
छतरपुर में सीएमएचओ द्वारा की गई जांच में सामने आया कि 16 शिक्षक कैसे हैं जिनके विकलांगता सर्टिफिकेट अस्पतालों से जारी नहीं हुए थे और न ही उनका कोई रिकॉर्ड मौजूद है। इनमें से पांच शिक्षकों का मामला पहले से ही हाई कोर्ट में विचाराधीन है। इसलिए बाकी बचे हुए 11 शिक्षकों की जांच प्रक्रिया शुरू की गई। इस दौरान कंफर्म हुआ कि सभी शिक्षकों के विकलांगता सर्टिफिकेट फर्जी है। इस रिपोर्ट के आधार पर कविता अहिरवार, नेहा विश्वकर्मा, रोहित नायक, विशाल जैन, मनीष लोधी, भानु प्रताप पटेल, दीपाली त्रिपाठी, रामकुमार पटेल, विनोद कुमार अहिरवार, अवध किशोर मिश्रा और मोनिका सक्सेना के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
सिटी कोतवाली थाना प्रभारी अरविंद दांगी ने बताया, बीईओ कार्यालय से भेजे गए पत्र में यह उल्लेख किया गया था कि वर्ष 2023 में कुछ लोगों ने फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी हासिल की थी। अब इनके खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया गया है और मामले की जांच जारी है।
जानकारी के अनुसार, पहले इन शिक्षकों के खिलाफ शिकायत सिटी कोतवाली थाने में दी गई थी, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। अब उच्च अधिकारियों द्वारा संज्ञान में लिए जाने के बाद 11 शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। रिपोर्ट: सत्येंद्र सरल।